बड़ी खबर: प्रसिद्ध वास्तुकार बालकृष्ण दोशी को रॉयल गोल्ड मेडल का सम्मान प्रदान किया गया

 

फोटो - संगथ स्टूडियो

प्रख्यात भारतीय वास्तुकार बालकृष्ण दोशी, जिन्होंने ले कॉर्बूसियर के साथ काम किया था, उन्हें 2022 के लिए रॉयल गोल्ड मेडल का सम्मान प्रदान किया गया, जो वास्तुकला के क्षेत्र में दुनिया के सर्वोच्च सम्मानों में से एक है। 

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बालकृष्ण दोशी को औपचारिक रूप से 15 जून 2022 को RIBA  (रॉयल इंस्टीट्यूट ऑफ ब्रिटिश आर्किटेक्ट्स) के अध्यक्ष साइमन ऑलफोर्ड द्वारा वास्तुकला के लिए 2022 रॉयल गोल्ड मेडल से महारानी की ओर से प्रदान किया गया। 

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जीवन भर के काम को मान्यता देते हुए, रॉयल गोल्ड मेडल को यूके की महारानी एलिजाबेथ द्वारा व्यक्तिगत रूप से अनुमोदित किया जाता है।

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यह वार्षिक पुरस्कार एक ऐसे व्यक्ति या लोगों के समूह को दिया जाता है, जिनका वास्तुकला की उन्नति पर प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ा है"।

आपको बता दे इस सम्मान की घोषणा दिसंबर 2021 में की गई थी।

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इस सम्मान को प्राप्त करते हुए बाल कृष्ण दोषी ने कहा - 

मैं इंग्लैंड की रानी से रॉयल गोल्ड मेडल प्राप्त करके सुखद आश्चर्यचकित और गहराई से विनम्र हूं।  कितना बड़ा सम्मान है!  इस पुरस्कार की खबर ने 1953 में ले कॉर्बूसियर के साथ काम करने के मेरे समय की यादें ताजा कर दीं। आज, छह दशक बाद मैं अपने गुरु ले कॉर्बूसियर के समान पुरस्कार से सम्मानित होने के लिए वास्तव में अभिभूत महसूस कर रहा हूं । मैं अपनी पत्नी, मेरी बेटियों और सबसे महत्वपूर्ण मेरी टीम और संगथ माय स्टूडियो के सहयोगियों के प्रति हार्दिक आभार व्यक्त करना चाहता हूं। -बालकृष्ण दोशी



बालकृष्ण दोषी के बारें में:-

26 अगस्त 1927 को पुणे में जन्में व मुंबई के जेजे स्कूल ऑफ आर्किटेक्चर से पढ़ाई करने वाले बालकृष्ण विट्ठलदास दोशी पेरिस के मशहूर आर्किटेक्ट ले कर्बुजियर के साथ भी काम कर चुके हैं।

आर्किटेक्ट ले कॉर्ब्यूसर के साथ उन्होंने पेरिस में साल 1950 में काम किया था। 

उसके बाद वह भारत के प्रोजेक्ट्स का संचालन करने के लिए वापस देश लौट आए। उन्होंने साल 1955 में अपने स्टूडियो वास्तु-शिल्प की स्थापना की और लुईस काह्न और अनंत राजे के साथ मिलकर अहमदाबाद के इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट के कैंपस को डिजायन किया। 

इसके बाद उन्होंने आईआईएम बंगलूरू और लखनऊ, द नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फैशन टेक्नोलॉजी, टैगोर मेमोरियल हॉल, अहमदाबाद का द इंस्टिट्यूट ऑफ इंडोलॉजी के अलावा भारत भर में कई कैंपस सहित इमारतों को डिजायन किया है। 

बता दे की बालकृष्ण दोशी को नोबल पुरस्कार के बराबर माने जाने वाले प्रतिष्ठित 'प्रित्जकर' पुरस्कार (2018 में) से भी सम्मानित किया जा चुका हैं। 

यह पुरस्कार आर्किटेक्चर क्षेत्र में बेहतरीन कार्य करने वालों को दिया जाता है. 'प्रित्जकर' पुरस्कार को वास्तुकला की दुनिया का नोबेल पुरस्कार कहा जाता है।  इसके साथ ही यह सम्मान प्राप्त करने वाले पहले भारतीय बन गए।

1989 में इंदौर में बना लो-कोस्ट हाउसिंग, जिसमें 80,000 लोग रहते हैं, उन्हीं का बनाया हुआ है।

 2020 में भारत सरकार ने बालकृष्ण दोशी को पद्म भूषण से नवाजा था।

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