ब्रेकिंग: मशहूर वास्तुकार बालकृष्ण दोषी को मिला रॉयल गोल्ड मैडल 2022 का सम्मान, पीएम मोदी ने दी बधाई

 


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पदम् भूषण प्राप्त भारत के मशहूर वास्तुकार बालकृष्ण दोषी को "रॉयल गोल्ड मेडल 2022" सम्मान से नवाजा जाएगा। 

रॉयल इंस्टीट्यूट ऑफ ब्रिटिश आर्किटेक्ट्स (आरआईबीए RIBA) ने बृहस्पतिवार को घोषणा की कि बालकृष्ण दोशी को ‘रॉयल गोल्ड मेडल 2022’ प्रदान किया जाएगा. यह वास्तुकला के क्षेत्र में दुनिया के सर्वोच्च सम्मानों में से एक है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्विटर के माध्यम से भारतीय वास्तुकार बालकृष्ण दोशी को उनकी इस उपलब्धि पर बधाई दी। 

उन्होंने कहा-"प्रतिष्ठित वास्तुकार श्री बालकृष्ण दोशी जी से बात की और उन्हें रॉयल गोल्ड मेडल 2022 से सम्मानित होने पर बधाई दी। वास्तुकला की दुनिया में उनका योगदान स्मारकीय है।  उनके कार्यों को उनकी रचनात्मकता, विशिष्टता और विविध प्रकृति के लिए विश्व स्तर पर सराहा जाता है।

बालकृष्ण दोषी के बारें में:-

26 अगस्त 1927 को पुणे में जन्में व मुंबई के जेजे स्कूल ऑफ आर्किटेक्चर से पढ़ाई करने वाले बालकृष्ण विट्ठलदास दोशी पेरिस के मशहूर आर्किटेक्ट ले कर्बुजियर के साथ भी काम कर चुके हैं।

आर्किटेक्ट ले कॉर्ब्यूसर के साथ उन्होंने पेरिस में साल 1950 में काम किया था। 

उसके बाद वह भारत के प्रोजेक्ट्स का संचालन करने के लिए वापस देश लौट आए। उन्होंने साल 1955 में अपने स्टूडियो वास्तु-शिल्प की स्थापना की और लुईस काह्न और अनंत राजे के साथ मिलकर अहमदाबाद के इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट के कैंपस को डिजायन किया। 

इसके बाद उन्होंने आईआईएम बंगलूरू और लखनऊ, द नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फैशन टेक्नोलॉजी, टैगोर मेमोरियल हॉल, अहमदाबाद का द इंस्टिट्यूट ऑफ इंडोलॉजी के अलावा भारत भर में कई कैंपस सहित इमारतों को डिजायन किया है। 

बता दे की बालकृष्ण दोशी को नोबल पुरस्कार के बराबर माने जाने वाले प्रतिष्ठित 'प्रित्जकर' पुरस्कार (2018 में) से भी सम्मानित किया जा चुका हैं। 

यह पुरस्कार आर्किटेक्चर क्षेत्र में बेहतरीन कार्य करने वालों को दिया जाता है. 'प्रित्जकर' पुरस्कार को वास्तुकला की दुनिया का नोबेल पुरस्कार कहा जाता है

1989 में इंदौर में बना लो-कोस्ट हाउसिंग, जिसमें 80,000 लोग रहते हैं, उन्हीं का बनाया हुआ है।

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