राम जैसवाल चित्रकार तो है ही साथ ही साहित्य में भी इनकी गहरी रुचि हैं। इनके कई कहानी संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं।
जन्म:
5 सितंबर 1937, सादाबाद , मथुरा ( उत्तर प्रदेश)
शिक्षा:
चित्रकला में एम. ए. , गवर्नमेंट कालेज ऑफ आर्ट्स एंड क्राफ्ट लखनऊ,
लखनऊ में अध्ययन के दौरान बंगाल के अग्रणी कलाकारों का सानिध्य राम जैसवाल जी को प्राप्त हुआ। जिनमें प्रमुख रूप से- सुधीर रंजन ख़ास्तगीर, असित कुमार हल्दर, श्रीधर महापात्र, मूर्तिकार एच. रॉय चौधरी, श्रीराम वैश्य थे।
3 साल तक इन्होंने लखनऊ मेडिकल कालेज में आर्टिस्ट पद पर भी कार्य किया।
चित्रण शैली:
लखनऊ में रहने के दौरान वर्ष (1953 से 1963 तक) इन्होंने बंगाल शैली (वाश पद्धति) में चित्र बनाएं जिनमे "व्यक्ति चित्र", "दृश्य चित्र", "कस्बे में सुबह" प्रमुख है।
लखनऊ विश्वविद्यालय के तत्कालीन उपकुलपति पद्मश्री प्राप्त राधकमल मुखर्जी ने इनके चित्रों के विषय में लिखा-
His works, leading with Indian myths and legend are exceedingly praiseworthy revealing both his literary background and excellence of the traditional Indian style. His drawing and colouring show the Indian delicacy and fine sense of rhythm.
"भारतीय मिथकों और किंवदंतियों के साथ अग्रणी उनकी रचनाएँ उनकी साहित्यिक पृष्ठभूमि और पारंपरिक भारतीय शैली की उत्कृष्टता दोनों को प्रकट करने के लिए अत्यधिक प्रशंसनीय हैं। उनके चित्र और रंग भारतीय विनम्रता और लय की सूक्ष्म भावना को दर्शाते हैं।"
राम जैसवाल ने 1953 से आज तक टेम्परा, पेंसिल, जलरंग, एवं तैलरंग में बड़ो, मित्रों, सहकर्मियों, के सैकड़ों व्यक्ति चित्र (पोट्रेट) बनाये हैं। इन व्यक्ति चित्रों में- सुधीर रंजन ख़ास्तगीर, राधकमल मुखर्जी, मदनलाल नागर, श्रीमती कमला विष्ट, मूर्तिकार एच. रॉय चौधरी प्रमुख थे।
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पद्मश्री प्राप्त सुधीर रंजन ख़ास्तगीर ने राम जैसवाल के व्यक्ति चित्रों के बारें में लिखा-
His studies of portraits in transparent water colour skillfully reveal the inner personality of the characters.
"पारदर्शी जल रंग में चित्रों का उनका अध्ययन पात्रों के आंतरिक व्यक्तित्व को कुशलता से प्रकट करता है।"
पद:
1961 में मेरठ कालेज में प्राध्यापक के पद पर नियुक्ति मिली। इस दौरान उन्होंने " "दूसरी ईद" व "राधा कृष्ण" जैसे श्रेष्ठ कृतियों का निर्माण किया।
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अजमेर दयानंद कालेज में स्नातकोत्तर चित्रकला विभाग के अध्यक्ष भी रहे। और इसी दौरान इन्होंने टेम्परा व आयल में आधुनिक चित्रों का निर्माण किया। इन चित्रों में- " आंगन में दोपहरी" , "पूजा का दिन", "स्ट्रीट सिंगर" , "प्रणय" प्रमुख हैं।
सम्मान:
1997 में राजस्थान ललित कला अकादमी का सर्वोच्च सम्मान "कलाविद" ।
1918 में राजस्थान साहित्य अकादमी ने विशिष्ट साहित्यकार सम्मान से सम्मानित किया।
कहानी संग्रह:
"असुरक्षित" , "उग्रह" , समयदंश, और विषजल इनके 4 कहानी संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं।
कविताओं के संग्रह में " विम्ब- प्रतिविम्ब " प्रकाशित हैं।
वर्तमान में राम जैसवाल कला क्षेत्र से जुड़े हुए है। और निरन्तर कार्य कर रहे हैं।
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