किसी कलाकार की पेंटिंग करोड़ो में कैसे बिक जाती है? पढ़िये आज का ये लेख

 


अभी हाल ही में अमृता शेरगिल की एक पेंटिग " इन द लेडीज एनक्लोजर" भारत की दूसरी सबसे महंगी पेंटिग बन गयी। 

13 जुलाई 2021 को सैफरन आर्ट की नीलामी में यह पेंटिग 37.8 करोड़ में बिकी। और इसी के साथ यह पेंटिग रिकार्ड बनाते हुए भारत की दूसरी सबसे महंगी कलाकृति बन गयी। 

वैसे भारत मे सबसे महंगी पेंटिग बिकने का खिताब वीएस गायतोंडे जी के पास है जिनकी अनटाइटल्ड पेंटिग करीब 39.9 करोड़ में बिकी हैं । और अभी यह पेंटिग (यह आर्टिकल लिखे जाने तक) भारत की सबसे महंगी पेंटिग है। 

अब सवाल ये हैं कि आखिर किसी भी कलाकार की पेंटिग करोडों में कैसे बिक जाती हैं? 

जाने माने कला समीक्षक एवं कला मर्मज्ञ प्रयाग शुक्ल कहते हैं- 

" यह सवाल कई लोगों के मन में उठता है कि आखिर ऐसा क्या होता है कि कोई कलाकृति इतनी मूल्यवान बन जाती है? 

इसका एक कारण तो यह है कि जो कृति किसी कलाकार ने एक बार बना दी है, ठीक वैसी ही फिर नहीं बनेगी और जब वह कलाकार इस दुनिया में नहीं रहेगा तो 'उस जैसी' कृति की भी संभावना वैसे भी समाप्त हो जाएगी। 

कृतियों की कीमत समय के साथ बढ़ती रहती है। 

मुझे दिल्ली की एक गैलरी में कुछ वर्ष पहले एक महिला मिली थी, जिन्होंने बताया था कि मकबूल फिदा हुसैन की एक पेंटिंग उन्होंने बारह सौ रुपए में खरीदी थी और कई वर्षों बाद उसे बेचने पर उन्हें तीन करोड़ रु. मिले थे। आखिर ये कीमतें तय कैसे होती हैं? 

जाहिर है सबसे पहले तो उसे कला-समाज ही तय करता है कि अमुक कलाकार 'अच्छा' या 'बहुत अच्छा है। 

और यह 'कला समाज' बनता किनसे है? स्वयं कलाकारों, कला-समीक्षकों, गैलरियों, संग्रहालयों, कला-संग्राहकों पारखियों, नीलामी घरों आदि से। इस मूल्यांकन में कभी-कभी बहुत देर भी हो जाती है, जैसे कि वान गाँग के मामले में हुई। 

उनके भाई थियो मानते थे कि वान गॉग एक बहुत बड़ा कलाकार है, पर तब का कला समाज नहीं। 

धीरे-धीरे उसमें भूल सुधार हुआ और अब वान गॉग की चित्राकृति 'सनफ्लॉवर' दुनिया की महंगी पेंटिंग्स में से एक है।

किसी कलाकृति का बहुत अच्छा होना, असाधारण होना उसका पुराना होना और उसका लगातार गुणगान होना भी उसकी कीमतों में बढ़ोतरी करते हैं। 

किसी कलाकार की जो पेंटिंग अभी करोड़ों में बिकी है, वह पहले लाखों में खरीदी गई होगी। हो सकता है कि अब जिसके पास गई है, वह उसे कुछ वर्षों बाद और बड़ी कीमत में बेचने का अवसर पा जाए। 

हा, यहां पैसा उसे ही मिलता है, जिसके पास अमुक कलाकृति होती है। जिसने बनाई है, उसे तो एक बार कृति को बेच देने के बाद फिर कोई राशि नहीं मिलती।

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