एम. एफ. हुसैन की कला Controversial Paintings of M. F. Husain

 


कला की शिक्षा:

महाराष्ट्र के शोलापुर के निकट पंढरपुर में जन्मे (17 सितम्बर 1915 - 9जून 2011) एम. एफ. हुसैन फकीराना वेशभूषा वाले आधुनिक भारतीय चित्रकार थे। इन्होंने इंदौर कला विद्यालय में दत्तात्रेय देवलालीकर से 1 वर्ष तक कला की शिक्षा ग्रहण की थी। इसके बाद वे मुंबई चले आए थे । 

पोस्टर और होर्डिंग बनाने का काम:

1934 से 1936 के बीच मुंबई में इन्हें अत्यधिक संघर्ष करना पड़ा। इन्होंने 1936 ईस्वी तक पोस्टर बनाने तथा होर्डिंग रंगने का कार्य किया। 1941 में इनकी होर्डिंग पुरस्कृत हुई थी और यह दूसरे नंबर के होर्डिंग बनाने वाले कलाकार चुने गए थे। 

हुसैन ने 1941 में फर्नीचर डिजाइनर के रूप में भी काम किया ।इसके बाद यह चित्रकारी करना प्रारंभ करते हैं।

पैग संगठन में शामिल हुए:

हुसैन ने प्रारंभ में जल रंगों द्वारा दृश्य चित्रण प्रारंभ किया था। 1947 में मुंबई में आयोजित इनके दृश्य चित्रों की प्रदर्शनी को देखने एफएन सूजा तथा के एच आरा पहुंचे थे। इन दो लोगों से संपर्क के बाद यह पैग संगठन में शामिल हुए। 

फिल्मों का निर्माण किया:

हुसैन ने प्रारंभिक दौर में दृश्य चित्र करने के साथ-साथ कोलाज चित्रण भी तैयार किए थे। ये फोटोग्राफी में भी रुचि रखते थे। इन्हें अंग्रेजी में कविताएं लिखने का भी शौक था। और साथ ही फिल्मों का भी अत्यधिक शौक था। इन्होंने स्वयं एक दर्जन से अधिक फिल्में बनाईं जिनमें मीनाक्षी, गजगामिनी नामक फिल्में में चर्चित हुई।

हुसैन शैली:

हुसैन धीरे धीरे प्रसिद्ध होते गए उनके चित्रण की एक अलग शैली का विकास हुआ, जिसे हुसैन शैली कहां गया ।उनकी कला शैली की एक प्रमुख विशेषता धुंधले एवं मटमैले रंगों में नारी चित्रण किया जाना था। मोटी रेखाओं में घिरी आकृतियों में दैनिक जीवन के सैकड़ों चित्रों के निर्माण के साथ-साथ इन्होंने रेखा चित्र भी बनाएं। इनके लिए नारी अनेक प्रकार के संघर्ष वह पीड़ा सहने वाली करूणा की प्रतीक भारतीय नारी है। इन्होंने नग्न नारी चित्रण भी किया जिसका उद्देश्य विसंगतियों को दर्शाना था। उन्होंने देवियों के नग्न चित्र भी बनाएं जिससे ये अत्यधिक विवादास्पद हो गए।

प्रतीकवादी चित्रकार:

हुसैन ने मानवीय विकृतियों को दर्शाने के लिए अनेक प्रकार के प्रतीकों का सहारा लिया ।इसलिए कुछ कला समीक्षकों ने इन्हें बुनियादी तौर पर प्रतीक वादी चित्रकार बताया है। उनके द्वारा तैयार किए गए घोड़े के चित्र माननीय विकृतियां दर्शाते हैं। उन्होंने सामाजिक विसंगतियों को दर्शाने हेतु एकदम अलग तरह के प्रतीकों जैसे वृषभ, सर्प, नारी की जंघा पर बैठा हुआ गिद्ध, काला चंद्रमा, दौड़ते अश्व, जमीन पर लुढ़कता बादामी सूर्य आदि का सहारा लिया।



चित्रों की प्रदर्शनी:

1950 में हुसैन के चित्रों की प्रथम  एकल प्रदर्शनी मुंबई में आयोजित हुई थी। विदेशों में हुसैन के चित्रों की पहली एकल प्रदर्शनी 1952 में ज्यूरिख (स्विट्जरलैंड) में हुई थी।

भारत का पिकासो:

हुसैन के कुछ चित्र यूरोपिय घनवाद से प्रेरित बताया गए हैं। यूरोपिय घनवाद के प्रवर्तक पिकासो से तुलना भी की गई है। 1971 में महाभारत की कथा से संबंधित लगभग 30 चित्र ब्राजील के चित्र प्रदर्शनी में पिकासो के साथ प्रदर्शित किए गए थे। हुसैन को भारत का पिकासो भी कहा गया है।

प्रसिद्ध नाटक कर्मी सफदर हाशमी से हुसैन अत्यधिक प्रभावित थे। इन्होंने हाशमी ट्रस्ट की स्थापना में सहयोग भी दिया था वे समाजवादी विचारों वाले कलाकार थे। वे राम मनोहर लोहिया से भी बहुत प्रभावित थे।

विवादास्पद पेन्टिंग:

एम एफ हुसैन अपने चित्र '' जमीन ''को सबसे अच्छा चित्र मानते थे। इनके द्वारा तैयार किया गया चित्र सरस्वती सर्वाधिक विवादास्पद रहा। हुसैन ने चर्चित एवं विवादास्पद चित्र प्रदर्शनीयां भी आयोजित की थी। ऐसी प्रदर्शनी में विसर्जन, श्वेतांबरी ,वायलेंस विशेष चर्चित हुई ।



हुसैन ने मार्च 1992 में 6 दिन का समय लेकर देवियों के चित्र बनाएं और स्वयं ही 4 दिनों में नष्ट कर सत्ता के प्रति अपना वैर भाव दर्शाया और इसी प्रदर्शन को विसर्जन नाम दिया ।

पुरस्कार:

हुसैन को 1955 में राष्ट्रीय ललित कला अकादमी का  पुरस्कार मिला और 1973 में पद्मभूषण भूषण तथा 1991 में पद्म विभूषण पुरस्कार मिला। यह राज्यसभा के लिए भी चुने गए थे। 92 वर्ष की आयु में केरल सरकार ने इन्हें राजा रवि वर्मा पुरस्कार दिया था ।

एम एफ हुसैन आपातकाल के दौरान तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के 3 चित्र बनाए थे और उन्हें देवी दुर्गा के रूप में दर्शाया था।

हुसैन द्वारा 1967 में तैयार की गई एक लघु फिल्म - " थ्रू द आइज ऑफ पेंटर" को बर्लिन फिल्म महोत्सव में गोल्डन बीयर पुरस्कार मिला था।

अंतिम दिनों के चित्र:

अपनी कला साधना के उत्तर काल में नए प्रकार के विषयों जैसे-  मदर टैरेसा, तांडव करता हुआ रावण, अकेली सीता, श्वेत कैनवास पर बिखरे अक्षर, हिंसा का प्रतीक अमिताभ बच्चन, माधुरी दीक्षित, गणेश ,दिशाहीन उड़ते शांति का प्रतीक कपोत, फूलन देवी आदि का चित्रण किया ।


इनके कुछ प्रमुख चित्र-

जमीन, लैंप और मकड़ी, भारतमाता ,आपात काल, हनुमान, जापान में प्रेमी, नीली रात, दुपट्टे में तीन औरतें ,अंतिम भोज, मुर्गा, महात्मा गांधी, बनारस, पोट्रेट आफ अंब्रेला , कर्बला, इमेज ऑफ ब्रिटिश राज, मुक्तिबोध की कविताओं पर आधारित चित्र ।

विवादास्पद पेंटिग और भारत में विरोध:

हुसैन सदा ही विवादास्पद रहे। नंगे पैर, फकीराना सूरत लिए, कभी माधुरी दीक्षित के मांसल सौंदर्य के प्रति दीवानगी दिखाते हुए तो कभी देवी- देवताओं के नग्न चित्रण करते। और इन्ही विवादास्पद चित्रों कारण इन्हें भारत मे काफी विरोध का सामना करना पड़ा। और देश छोड़ना पड़ा।

उन्होंने 2010 में कतर की नागरिकता ग्रहण की थी वे भारत में प्रायः मुंबई और दिल्ली में रहें।

9 जून 2011 को लंदन में इनका निधन हो गया। इन्हें लन्दन के ही बैफैलो उर्स पार्क में दफनाया गया।

Join 👉फेसबुक


Post a Comment

और नया पुराने