"एक कवि या एक कलाकार वास्तव में क्या देखता है? क्या उसकी दृष्टि हमारी जैसी है, क्षणभंगुर क्षण की ऑप्टिकल प्रभाव की बात है, या कुछ गहरा और अलग है?" बिरेश्वर सेन
"What does a Poet or an Artist really see? Is his vision the same as ours, a matter of fact optical impression of the fleeting moment, or something deeper and different?" Bireswar Sen
आज हम बात करने वाले हैं चित्रकार बिरेश्वर सेन के बारे में। 15 नवम्बर 1897 को कोलकाता में इनका जन्म हुआ था।
अंग्रेजी भाषा मे स्नाकोत्तर:
बिरेश्वर सेन ने 1918 में स्नातक किया और 1921 में अंग्रेजी विषय से एम. ए. की डिग्री ली। और दो साल बाद 1923 में बिहार के नेशनल कालेज, पटना में ये अंग्रेजी के प्राध्यापक पद पर नियुक्त हो गए।
कला के प्रति झुकाव:
बिरेश्वर सेन अंग्रेजी विषय के प्राध्यापक तो बन गए लेकिन उसमे इनका मन नही लगा और इनका झुकाव कला की तरफ होने लगा। और इसी कारण इन्होंने अंग्रेजी के प्रवक्ता पद से इस्तीफा दे दिया।
कला की शुरुआत:
वेसे तो बिरेश्वर सेन के अंदर बचपन से ही कला के प्रति लगाव था। और इस्तीफा देने के बाद बिरेश्वर सेन ने " इंडियन सोसायटी ऑफ ओरियंटल आर्ट, कोलकाता" में कुछ समय तक कला की शिक्षा भी ग्रहण की।
इसके बाद 1926 में इन्होंने "लखनऊ स्कूल ऑफ आर्ट्स एन्ड क्राफ्ट " में प्राचार्य के पद पर कार्य किया। और इनके ही प्रयासों से लखनऊ में " सेंट्रल डिजाइनर " की स्थापना हुई , और यह इसके प्रथम निदेशक नियुक्त हुए।
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बिरेश्वर सेन की कला:
कला जगत में " सेन मोशाय" के रूप में लोकप्रिय रहे बिरेश्वर सेन प्रारंभ में आकृति चित्रों के चित्रकार जाने जाते थे।
1932 में रूसी चित्रकार " निकोलस रोरिक" से मिले। और इनसे प्रभावित होकर कई कार्य किये।
बिरेश्वर सेन निकोलस रोरिक की तरह Talented Colorist कहे जाते थे।
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बिरेश्वर सेन ने प्रायः सभी माध्यमों में चित्र बनाये हैं जल रंग, टेम्परा, वाश पेस्टल इत्यादि। इन्होंने हिमालय के दृश्य चित्रों को छोटे बड़े सभी आकारों में उकेरा हैं। इन्होंने बृहदाकार चित्रों से लेकर लघु चित्रों का निर्माण किया हैं। छोटे आकार के जल रंग में व बड़े आकार के पेस्टल में।
कुछ प्रमुख चित्र:
आत्म बोध, पुनर्जीवन, प्रकाश का आह्वान, अछूती हिमशिलाएँ, स्नानार्थी, तीर्थयात्री, योद्धा और संत, एंलाइटमेंट, स्वर्ण पर्वत, दर्रे पर, तुनगेश्वर का मंदिर, सोता सिंह।
लेख , संग्रह और प्रदर्शनी:
बिरेश्वर सेन ने कई लेख लिखे जिनमें- अवनींद्रनाथ टैगोर, डिजाइन फ़ॉर हैंडी क्राफ्ट, क्राफ्ट डिजाइन, आर्ट एंड नेचर इत्यदि।
इनके चित्रों का संग्रह- द लाहौर म्यूजियम, त्रावनकोर स्टेट गैलरी, म्युनिसिपल म्यूजियम इलाहाबाद, और 50 से भी अधिक चित्र नेशनल गैलरी ऑफ मॉडर्न आर्ट नई दिल्ली में संग्रहित हैं।
इन्होंने लन्दन, पेरिस, टोक्यो, जावा, बर्लिन, न्यूयॉर्क, कोलकाता, चेन्नई, मुम्बई, दिल्ली, लाहौर, शिमला, लखनऊ, नैनीताल आदि जगहों पर अपने चित्रों की प्रदर्शनी लगाई।
बिरेश्वर सेन अपने जीवन के अंत तक पेंटिंग करते रहे। 10 सितंबर, 1974 को इनका निधन हो गया।
◆ 2017 में नेशनल गैलरी ऑफ मॉडर्न आर्ट नई दिल्ली द्वारा इनके पोस्ट कार्ड साइज लघु चित्रों की प्रदर्शनी आयोजित की गयी।
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◆Download Bireshwar Sen catalogue(english language)
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