के. के. हेब्बर (Kattingeri Krishna Hebbar)
जन्म- 15 जून 1911
मृत्यु- 26 मार्च 1996
के के हैब्बर सशक्त रेखांकन के लिए विशेष रूप से जाने जाते हैं। इन्होंने ग्रामीण परिवेश के साथ-साथ नर्तकियों व नृत्य भंगिमाओं का रेखांकन भी किया। इन्होंने कत्थक नृत्य के आचार्य पंडित सुंदरलाल से नृत्य कला की शिक्षा भी ग्रहण की। ये शास्त्रीय संगीत एवं लोक संगीत से प्रभावित थे।
ये फ्रेंच कलाकार गोगा व पाल सेजान से भी अत्यधिक प्रभावित रहे।
के के हैब्बर व्यक्ति चित्र एवं भित्तिचित्रण भी करते थे। इन्हें "आधुनिक कला तथा लोक कला के बीच सेतु (पुल)" माना गया है।
कर्नाटक के एक छोटे से गाँव "कांट गिरी"में जन्मे के केे हैब्बर जे. जे. स्कूल आफ आर्ट से कला की शिक्षा ली। कला शिक्षा पूर्ण करने के बाद उन्होंने जे जे स्कूल ऑफ आर्ट में अध्यापन भी किया। इसके बाद यह व्यवसायिक चित्रकार बन गए थे।
के के हैब्बर चित्रकार होने के साथ-साथ भावुक कवि तथा लेखक भी थे। इन्होंने लाइफ ऑफ आर्ट , और लाइफ ऑफ सिंपल सिटी के अतिरिक्त अन्य कई शोध पत्र प्रकाशित किये।
के के हैब्बर को राष्ट्रीय ललित कला अकादमी द्वारा पुरस्कृत भी किया गया । और राष्ट्रीय ललित कला अकादमी के सदस्य भी बने थे।1980 से 1984 तक राष्ट्रीय ललित कला अकादमी के अध्यक्ष भी रहे ।
राष्ट्रीय ललित कला अकादमी ने इनके चित्रों पर एलबम तथा इनके व्यक्तित्व व कृतित्व पर एक मोनोग्राफ भी प्रकाशित किया।
इनको 1961 में पद्मश्री वह 1989 में पदम भूषण से व 1990 में महाराष्ट्र गौरव सम्मान से सम्मानित किया गया।
के के हैब्बर ने तेल माध्यम और टेंपरा माध्यम में चित्रण किया। उनके बनाए हुए चित्र इस प्रकार हैं-
धान कूटते हुए (रेखा चित्र)
मुर्गों की लड़ाई
साधु
श्रद्धा
संगीत
पनघट
होली
दीपावली
विवाह उत्सव
निर्माण
प्रवाह
खोज
ढोलक वादक इत्यादि
(ढोलक वादक यामिनी राय का भी है)
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