मूर्तिकार देवी प्रसाद राय चौधरी की कला




देवी प्रसाद राय चौधरी बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे। यह चित्रकार वह मूर्तिकार होने के साथ-साथ साहित्यकार, संगीतकार, शिकारी व पहलवान भी थे । वह वंशी वादन में भी निपुण थे। लेकिन सबसे ज्यादा वह मूर्तिकार के रूप में अधिक प्रसिद्ध हुए । उन्होंने कांस्य, प्लास्टर ऑफ पेरिस, संगमरमर व मिट्टी की मूर्तियां तैयार की थी। उनके काँस्य मूर्तिशिल्प सर्वाधिक प्रसिद्ध हुए उनके कुछ प्रमुख का काँस्य मूर्तिशिल्प इस प्रकार है -
●शहीद स्मारक (पटना में ) 
●स्वतंत्रता स्मारक ( दिल्ली)
●श्रम की विजय (मरीना बीच- चेन्नई) 

देवी प्रसाद राय चौधरी ने महात्मा गांधी ,सुरेंद्रनाथ बनर्जी, मोतीलाल नेहरू ,एनी बेसेंट आदि राष्ट्रीय नेताओं की मूर्तियां भी तैयार की इनमें से एनी बेसेंट की संगमरमर निर्मित मूर्ति तथा गांधीजी की कांस्य मूर्ति विशेष प्रसिद्ध हुई । 

देवी प्रसाद राय चौधरी का जन्म (15 जून 1899- 15 अक्टूबर 1975) पूर्वी बंगाल (बांग्लादेश) के रंगपुर जिले के ताजहट नामक गांव में हुआ था। यह सब संपन्न जमीदार घराने से संबंधित थे।और बचपन से ही कला के प्रति रुझान था। जिसे देखते हुए इन्हें 1914 में अवनींद्र नाथ टैगोर से कला शिक्षा ग्रहण करने भेजा गया। 

बाद में देवी प्रसाद राय चौधरी ने हिरण्यमय चौधरी के कला स्टूडियो में मूर्तियों की मॉडलिंग व मूर्तिकारी सीखी थी। जब इनकी कला शिक्षा पूर्ण हो गई तब देवी प्रसाद राय चौधरी ने इंडियन सोसायटी आफ ओरिएंटल आर्ट कोलकाता में शिक्षण कार्य प्रारंभ किया था जहां पर इनका सम्पर्क इटली के चित्रकार बायस से हुआ था। इन्होंने बायस से ही पश्चिमी चित्रण पद्धति , विशेष रूप से तैल चित्रण सीखा था। इनके द्वारा तैल माध्यम में बनाया गया पहला उत्कृष्ट चित्र "दुर्गा पूजा यात्रा" माना जाता है।


देवी प्रसाद राय चौधरी ऐसे चित्रकार थे जिनकी चित्रण शैली उनके गुरु अवनींद्र नाथ टैगोर से मिलती जुलती थी ।
इनके चित्रकला की एक प्रमुख विशेषता पर्वतीय नारी सौंदर्य को उभारना भी था। ऐसे चित्रों में- 
तिब्बत की बालिका 
●भूटिया औरत 
●नेपाली लड़की 
●लेपचा कुमारी 
●कौतूहल 
●कमल सरोवर आदि 

इनके अन्य प्रमुख चित्र -
●तूफान के बाद 【जल रंग में】 
●निर्वाण 【तैल रंग में】
●महल की गुड़िया 【जल रंग में】 
●स्नान के घाट 【जल रंग में】 
●मुसाफिर 【जल रंग में】
●पुल 【पेस्टल】
●खतरनाक रास्तों 【पेस्टल】

स्पस्ट हैं  देवी प्रसाद राय चौधरी ने जल रंगो ,तैल रंगों और पेस्टल में भी चित्रण किया था। 

इन्होंने व्यक्ति चित्रण भी बनाये। जिसमे रवींद्र नाथ, ओसी गांगुली, पर्शि ब्राउन, प्रमुख थे। इसमे सबसे उत्तम रवींद्र नाथ टैगोर का चित्र माना गया हैं। 

-देवी प्रसाद रॉय चौधरी 1929 में मद्रास कला स्कूल के प्रधानाचार्य नियुक्त हुए थे।1954 में स्थापित ललित कला अकादमी नई दिल्ली का प्रथम चेयरमैन भी इन्ही को नियुक्त किया गया था।
यह भी देखें 👇


1955 में जापान के टोक्यो शहर में आयोजित यूनेस्को कला सेमिनार का अध्यक्ष भी देवी प्रसाद राय चौधरी को नियुक्त किया गया था।

भारत सरकार ने इन्हें 1958 में पद्मभूषण से सम्मानित किया। और साथ ही रविंद्र भारती विश्वविद्यालय द्वारा डि.लीट की उपाधि दी गई थी।

Post a Comment

और नया पुराने