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फ़ोटो क्रेडिट- रजत हूजा ट्विटर |
इन्होने लन्दन में इसकी शिक्षा ली और 1949 से 1954 तक रीजेंट स्ट्रीट पोलिटेक्निक लंदन से मूर्तिकला में शिक्षा प्राप्त की . वह 1955 में भारत लौटी और अपना पूरा जीवन मूर्ति निर्माण में लगा दिया .
इन्होने विभिन्न माध्यमो जिनमे लोहा ,ब्रांज , फाइबर, ग्लास , कंक्रीट , प्लास्टर ऑफ़ पेरिस , आदि पर काम किया . इन्होने मूर्तिशिल्प कांस्य व् लकड़ी में भी बनाया . इन्होने मिश्रित माध्यम पारा व् धातु में मुर्तिशिल्पों का निर्माण किया. जीवन के अंतिम पड़ाव में इन्होने मेटलस्केप के छोटे छोटे अमूर्त शिल्पों का निर्माण किया .
इन्होने जिन मुर्तिशिल्पों का निर्माण किया उसपे हेनरी मूर ,मायलौट, पिकासो , ब्रानकूसी, आदि का प्रभाव रहा. लेकिन इन्होने भारतीय शैली को अपनाया .
इन्होने 1955 से 2013 तक लगभग 55 मुर्तिशिल्पों का निर्माण किया . और इनके द्वारा निर्माण किये गए मूर्तिशिल्प जोधपुर , दिल्ली , जयपुर , मुंबई , भीलवाडा , कोटा और विदेशो में स्वीडन , वाशिंगटन, और फिलीपींस में देखे जा सकते है .
इन्होने जयपुर में जवाहर लाल नेहरु रोड पर त्रिमूर्ति सर्किल पर पुलिस मेमोरियल का निर्माण किया जिसका उद्घाटन पंडित जवाहर लाल नेहरु ने (1963)में किया था.
इन्होने कोटा में 'पंख फैलाये गरुड' का एक मूर्तिशिल्प बनाया जो काफी प्रसिद्ध है.
उषा रानी हूजा 1960, 1980, व् 1990 में राज्य ललित कला अकादेमी की सदस्य भी रही .
इन्होने कवितायेँ भी लिखी जो "Song & Sculpture" नाम से प्रकाशित हुई.
22 मई 2013 को इनका देहांत हो गया.
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