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लतिका कट्ट भारत की सबसे सफल मूर्तिकारों में से एक हैं, जिन्होंने पांच दशकों से अधिक समय तक कई माध्यमों में काम किया, जिसमें टेराकोटा और पेपर-मैचे से लेकर पत्थर और कांस्य तक सब कुछ इस्तेमाल किया गया। रविवार 26 जनवरी 2025 को जयपुर में उनका निधन हो गया। वह 76 वर्ष की थीं।
राजनीतिक नेताओं की विशालकाय मूर्तियों से लेकर प्रकृति की पेचीदगियों को उकेरने तक, लतिका कट्ट ने विभिन्न माध्यमों में प्रयोग किए, जिनमें गोबर और टेराकोटा से लेकर पत्थर और कांस्य तक शामिल हैं।
लतिका कट्ट की कला :
12 मार्च 1948 को उत्तर प्रदेश में जन्मी लतिका कट्ट एक भारतीय मूर्तिकार हैं जो पत्थर की नक्काशी, धातु की ढलाई और कांस्य शिल्पकला में माहिर थी।
लतिका कट्ट ने 1958 से 65 के मध्य दून स्कूल में अध्ययन किया।
1966 से 1971 ईसवी के मध्य उन्होंने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (bhu) के ललित कला विभाग से स्वर्ण पदक के साथ बी एफ ए की डिग्री प्राप्त की।
इन्होंने कई वर्षों तक "जामिया मिल्लिया इस्लामिया" और "बनारस हिंदू विश्वविद्यालय " में पढ़ाया।
1981 में लंदन विश्वविद्यालय, लंदन के स्लेड स्कूल ऑफ़ आर्ट में शोध करने के लिए छात्रवृत्ति प्रदान की गई।
इनके पति बलबीर सिंह कट्ट भी जाने माने मूर्तिशिल्प कलाकार हैं ।
लतिका कट्ट ने शुरुआत में ग्राफिक माध्यम में काम किया फिर मूर्तिशिल्प के क्षेत्र में आई।
लतिका कट्ट की पहली एकल प्रदर्शनी 1975 में जहांगीर आर्ट गैलरी, मुंबई में हुई थीं।
प्रमुख मूर्तिशिल्प:
पंडित नेहरू की आदमकद प्रतिमा ( ब्रॉन्ज,जवाहर भवन नई दिल्ली)
जवाहर लाल नेहरू की बस्ट साइज प्रतिमा (इंडिया प्लेस ,लंदन)
इंदिरा गांधी की प्रतिमा ( हैदराबाद)
बेंद्रे का पोट्रेट ( राष्ट्रीय आधुनिक कला संग्रहालय, नई दिल्ली)
जेराम पटेल ईटिंग पेन ( ( राष्ट्रीय आधुनिक कला संग्रहालय, नई दिल्ली)
ट्रीज ( कांस्य)
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