80 साल के भानुभाई चितारा को भारतीय हस्तकला को संजोने के लिए साल 2023 के पद्म श्री सम्मान के लिए चुना गया। उन्हें यह सम्मान करीबन 400 साल पुरानी गुजराती हस्तकला ‘माता नी पचेड़ी’ को आज तक जीवित रखने के लिए दिया गया है।
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माता नी पचेड़ी का शाब्दिक अर्थ है ‘माँ देवी के पीछे’। माना तो यह भी जाता है कि यह कला 3,000 साल से भी अधिक पुरानी है, कपड़े पर पेंटिंग की यह शैली देवी-देवताओं के अलग-अलग रूपों और उनकी कहानियों की दर्शाती है।
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