Pic- vadehra art gallery |
प्रतिष्ठित प्रित्ज़कर पुरस्कार के विजेता वास्तुकार बालकृष्ण दोशी का मंगलवार (26 अगस्त 1927-24 जनवरी 2023), को अहमदाबाद में 95 वर्ष की आयु में निधन हो गया।
उनके निधन की खबर साझा करते हुए, आर्किटेक्चर डाइजेस्ट ऑफ इंडिया ने इंस्टाग्राम पर लिखा, 'रूप और प्रकाश के एक मास्टर क्षेत्ररक्षक, दोशी ने एक अमिट विरासत छोड़ी है। एक प्यार करने वाला पति, पिता, दादा, परदादा और इस देश के लोगों के लिए एक सच्ची प्रेरणा। वास्तुकला, कला, जीवन, संस्कृति और दर्शन में उनके योगदान को हमेशा याद रखा जाएगा।'
बालकृष्ण दोषी के बारें में:-
26 अगस्त 1927 को पुणे में जन्में व मुंबई के जेजे स्कूल ऑफ आर्किटेक्चर से पढ़ाई करने वाले बालकृष्ण विट्ठलदास दोशी पेरिस के मशहूर आर्किटेक्ट ले कर्बुजियर के साथ भी काम कर चुके हैं।
आर्किटेक्ट ले कॉर्ब्यूसर के साथ उन्होंने पेरिस में साल 1950 में काम किया था।
उसके बाद वह भारत के प्रोजेक्ट्स का संचालन करने के लिए वापस देश लौट आए। उन्होंने साल 1955 में अपने स्टूडियो वास्तु-शिल्प की स्थापना की और लुईस काह्न और अनंत राजे के साथ मिलकर अहमदाबाद के इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट के कैंपस को डिजायन किया।
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इसके बाद उन्होंने आईआईएम बंगलूरू और लखनऊ, द नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फैशन टेक्नोलॉजी, टैगोर मेमोरियल हॉल, अहमदाबाद का द इंस्टिट्यूट ऑफ इंडोलॉजी के अलावा भारत भर में कई कैंपस सहित इमारतों को डिजायन किया है।
बता दे की बालकृष्ण दोशी को नोबल पुरस्कार के बराबर माने जाने वाले प्रतिष्ठित 'प्रित्जकर' पुरस्कार (2018 में) से भी सम्मानित किया जा चुका हैं।
यह पुरस्कार आर्किटेक्चर क्षेत्र में बेहतरीन कार्य करने वालों को दिया जाता है. 'प्रित्जकर' पुरस्कार को वास्तुकला की दुनिया का नोबेल पुरस्कार कहा जाता है। इसके साथ ही यह सम्मान प्राप्त करने वाले पहले भारतीय बन गए।
1989 में इंदौर में बना लो-कोस्ट हाउसिंग, जिसमें 80,000 लोग रहते हैं, उन्हीं का बनाया हुआ है।
2020 में भारत सरकार ने बालकृष्ण दोशी को पद्म भूषण से नवाजा था।
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