खुशखबरी: मोढेरा का ऐतिहासिक सूर्य मंदिर सहित भारत के तीन नए स्थल यूनेस्को धरोहर की संभावित सूची में शामिल

 


भारत के तीन नए सांस्कृतिक स्थलों को यूनेस्को के विश्व धरोहर स्थलों की संभावित सूची में शामिल किया है। इसमें मोढेरा का ऐतिहासिक सूर्य मंदिर, गुजरात का वडनगर शहर और त्रिपुरा में उनाकोटी शृंखला में पत्थरों पर उकेरी गई मूर्तियां शामिल हैं। 

ये जानकारी भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) ने दी है।



ASI ने (भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण) Archaeological Survey of India कहा कि इस कदम से भारत की सांस्कृतिक विरासत को बढ़ावा मिलेगा। ASI ने कहा कि मोढेरा के सूर्य मंदिर  (Sun Temple - Modhera) और आस-पास के स्मारक, पहाड़ों में काटकर बनाई गई उनाकोटी की मूर्तियां (Rock-Cut Sculptures) तथा बहुस्तरीय शहर वडनगर यूनेस्को की अंतरिम सूची में जोड़े गए तीन नए स्थलों में शामिल हैं। इससे भारतीय सांस्कृतिक विरासत को बहुत प्रोत्साहन मिलेगा।

भारत के पास अब यूनेस्को की अस्थायी लिस्ट में 52 जगह हैं, जो भारत की विविध सांस्कृतिक और प्राकृतिक संपदा सें संबंधित हैं. पिछले साल, भारत ने इस लिस्ट में छह साइटों को जोड़ने का प्रस्ताव पेश किया था. इनमें सतपुड़ा टाइगर रिजर्व, वाराणसी के ऐतिहासिक शहर के प्रतिष्ठित रिवरफ्रंट, हायर बेंकल के महापाषाण स्थल, महाराष्ट्र में मराठा सैन्य वास्तुकला, नर्मदा घाटी-जबलपुर में भेड़ाघाट-लमेटाघाट और कांचीपुरम के मंदिर शामिल हैं.

मोढेरा के सूर्य मंदिर के बारे में जानकारी:

यह सूर्य मंदिर बहुत प्राचीन हैं, इसका ऐतिहासिक महत्व भी है। मोढेरा में स्थित सूर्य मंदिर का निर्माण 1026 ई. में सूर्यवंशी सोलंकी राजा भीमदेव प्रथम द्वारा करवाया गया था। 



यह मंदिर ग्याहरवीं शताब्दी का है। 

इस मंदिर का निर्माण इस तरह से किया गया है कि सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त के समय तक इस पर सूर्य की किरणें पड़ती हैं। यह एक पहाड़ी पर स्थित है।

इस मंदिर के गर्भगृह की दीवारों पर बहुत सुंदर नक्काशी की गई है। इसकी दीवारों पर नक्काशी से पौराणिक कथाओं का चित्रण किया गया है। यह मंदिर तीन हिस्सों में विभाजित है। इस मंदिर में सूर्य कुंड, सभा मंडप और गूढ़ मंडप बना है,  कुंड में जाने के लिए सीढ़ियों का निर्माण किया गया है।

यह मंदिर विश्वप्रसिद्ध है, इस मंदिर में वास्तुकला का अद्भुत नमूना देखने को मिलता है। इसकी सबसे बड़ी खासियत है कि इसको बनाने में चूने का प्रयोग नहीं किया गया है। राजा भीमदेव के द्वारा इस मंदिर का निर्माण करवाया गया था जिसमें सभामंडप और गर्भगृह आता है। सभा मंडप के आगे की ओर को एक कुंड बना हुआ है जिस सूर्यकुंड या रामकुंड कहा जाता है। यह एक प्रसिद्ध पर्यटक स्थल भी है। इसकी देख-रेख अब पुरातत्व विभाग के द्वारा की जाती है।

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