माध्यमिक शिक्षा में बेहतरी के दावे राजकीय विद्यालयों तक सीमित हैं। अशासकीय सहायता प्राप्त (एडेड) विद्यालयों में 100 साल पुराने नियम लागू हैं। इसीलिए शिक्षक भर्ती में लाहौर के मेयो कालेज की डिग्री मान्य है और कंप्यूटर शिक्षा की पढ़ाई का इंतजाम नहीं हो सका है। समान पाठ्यक्रम वाले राजकीय व एडेड माध्यमिक कालेजों में शिक्षक भर्ती के नियम तक समान नहीं किए जा सके हैं।
प्रदेश में 2357 राजकीय व 4512 एडेड माध्यमिक विद्यालय संचालित हैं।
सभी विद्यालयों में सीबीएसई की तर्ज पर एनसीईआरटी का पाठ्यक्रम लागू चुका है।
विषयवार पढ़ाई कराने के लिए शिक्षकों का चयन अलग संस्थाएं कर रही हैं।
राजकीय विद्यालयों के लिए उप्र लोकसेवा आयोग व एडेड विद्यालयों के लिए माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड उम्र को जिम्मा मिला है। दोनों संस्थाओं की हिंदी कला जैसे कई विषयों में शिक्षक चयन की अर्हता अलग है।
चयन बोर्ड में कला शिक्षक के लिए बीएफए, एमएफए जैसी डिग्री लेने वाले अभ्यर्थी आवेदन नहीं कर पाते, क्योंकि वहां इंटरमीडिएट एक्ट 1921 के नियमों के आधार पर भर्ती होती है। कला शिक्षकों की भर्ती में वहां अब तक लाहौर के मेयो कालेज की डिग्री भी मान्य है। माध्यमिक शिक्षा परिषद यानी यूपी बोर्ड चार साल में 100 वर्ष पुरानी नियमावली में संशोधन नहीं कर पाया है।
माध्यमिक शिक्षा परिषद की 1921 की नियमावली बदलने पर गंभीरता से कार्य हो रहा है, एडेड माध्यमिक विद्यालयों में कंप्यूटर शिक्षक रखे जाने की तैयारी है, निदेशालय से प्रस्ताव लेकर शासन को भेजा है, जल्द ही निर्देश जारी होंगे - सरिता तिवारी, निदेशक माध्यमिक शिक्षा
राजकीय व एडेड कालेजों में शिक्षक भर्ती की चयन अर्हता समान करने के लिए शासन कमेटियां बनाता रहा। एक कमेटी में बोर्ड सचिव नीना श्रीवास्तव, अपर निदेशक माध्यमिक मंजू शर्मा व तत्कालीन संयुक्त शिक्षा निदेशक प्रयागराज माया निरंजन रही। इसमें नीना श्रीवास्तव व माया निरंजन रिटायर हो चुकी है और मंजू शर्मा दिसंबर में सेवानिवृत्त होगी। इस कमेटी ने कई सुझाव दिए लेकिन निर्णय किसी पर नहीं हुआ। यूपी बोर्ड में अनुपयोगी नियमों को समाप्त करने के लिए भी कमेटियां बनी, लेकिन स्थिति ज्यों की त्यों हैं।
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दैनिक अखबार - 14 सितंबर 2022 न्यूज |
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