चंबा रुमाल से कुल्लू शाल तक: सात अगस्त को मनाया गया राष्ट्रीय हथकरघा दिवस

 



National Handloom Day 7 August 

बातें " चंबा रुमाल " की:

कहते हैं कुरुक्षेत्र की लड़ाई को दर्शाने वाला " चंबा रुमाल " जिसे चंबा के राजा गोपाल सिंह ने एक अंग्रेज को 19वीं शताब्दी में उपहार स्वरूप दिया था। अब उसे विक्टोरिया और एलबर्ट म्यूजियम, लंदन में रखा गया हैं। 

यह भी कहा जाता हैं कि 20वीं शताब्दी के आरंभ में राजा भूरी सिंह ने  कढ़ाई किए हुए कपड़े मंगवाए और उन्हें 1907 तथा 1911 में लगे दरबारो में दिल्ली भेजा। 

वहा शायद इन रुमालों को इतना सराहा गया की इनका नाम ही " चंबा रुमाल " पड़ गया। 

31 अक्टूबर 2008 को यूनेस्को ने चंबा रुमाल को विश्व धरोहर घोषित किया। 

बातें " कुल्लू शाल की:

हिमाचल हस्तशिल्प की बात करें तो " कुल्लू शाल " का नाम पहले नंबर पर आता हैं। 

प्रदेश के हैंडलूम प्रोडक्ट कुल्लू की शाल, किन्नौर की शाल और चंबा के रुमाल की GI टैग यानी जियोग्राफिकल इंडिकेशन टैंगिग की गई हैं। 

हरियाणा के सूरजकुंड में फरवरी 2020 में हुए अंतर्राष्ट्रीय हस्तशिल्प मेले में 23 वर्ष बाद हिमाचल प्रदेश को थीम स्टेट बनाने का मौका मिला था। इस मेले में उज़्बेकिस्तान को सहयोगी पार्टनर बनाया गया था। बता दे उज़्बेकिस्तान भी हस्तशिल्प के मामले में विश्व प्रसिद्ध हैं। 

राष्ट्रीय हथकरघा दिवस मनाने का निर्णय:



हर साल 7 अगस्त के दिन राष्ट्रीय हथकरघा दिवस (National Handloom Day 2022) मनाया जाता है। 

ब्रिटिश सरकार द्वारा किए जा रहे बंगाल विभाजन का विरोध करने के लिए सन 1905 में 7 अगस्त को " राष्ट्रीय हथकरघा दिवस " मनाने का निर्णय लिया गया। 

इस दिन को मनाने का उद्देश्य है आर्थिक रूप से हथकरघा उद्योग को मजबूत बनाना और इसे दुनिया में ब्रांड के तौर पर पेश करना। 

हैंडलूम से बनी खादी की साड़ी, सूट, दुपट्टा या कुर्ता और शर्ट काफी कंफर्टेबल होता है और कई लोगों की आज भी पहली पसंद है।

हथकरघा उद्योग कृषि के बाद ग्रामीण भारत का सबसे बड़ा रोजगार उद्योग हैं।

खबर साभार - अमर उजाला

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