भोपाल में रहने वाली भील समुदाय की युवा चित्रकार शांता भूरिया जनजातीय कला ,संस्कृति को सहेज कर इसे देश-प्रदेश में लोकप्रिय बना रही हैं।
●मध्यप्रदेश के झाबुआ जिले में जन्मीं शांता को यह कला विरासत में मिली है।
●वे प्रसिद्ध चित्रकार पद्मश्री भूरी बाई की बेटी हैं।
●शांता, बचपन में मां के साथ उनके रचना कर्म में सहयोग कर चित्र बनाना सीखती थीं।
●उन्होंने पहली पेंटिंग 13 साल की उम्र में बनाई थी।
●विवाह के बाद उनकी इस कला पर विराम लग गया बाद में जब उन्हें आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ा तो उन्होंने पति के सहयोग से फिर से पेंटिंग बनाना शुरू किया।
●शांताबाई द्वारा बनाए गए चित्रों की प्रदर्शनी मुम्बई, दिल्ली, चंडीगढ़, बैंगलोर, भोपाल, इंदौर सहित देश के अनेक शहरों में लग चुकी है।
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●वे अपने चित्रों में जनजातीय कथाएं, पिठोरा देव, पर्यावरण और आसपास के जन-जीवन का चित्रांकन करती हैं।
courtesy- mp govt.
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