मध्यप्रदेश के रायसेन जिले के गोहरगंज तहसील में भोपाल से 45 किमी. दक्षिण पूर्व भीमबेटका नामक पहाड़ी पर लगभग 600 गुफाएं मिली।
इन 600 गुफ़ाओं में 275 चित्र वाली गुफाएं हैं।
भीमबेटका की इन गुफ़ाओं की खोज का श्रेय उज्जैन विश्वविद्यालय के प्रोफेसर रहे डॉ विष्णु श्रीधर वाकणकर को दिया जाता हैं।
भीमबेटका के अधिकतर चित्र गुफाओं के दीवारों तथा छतों पर बने हैं।
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भीमबेटका की चित्रकला सबसे प्राचीन चित्रकला हैं।
चित्रों का समय- भीमबेटका के मूल चित्र मध्यपाषाण काल के है।
विद्वानों के मतानुसार यहाँ बने चित्र 8000 ई. पू. से लेकर 1500 ई. पू. तक हैं।
भीमबेटका के अधिकतर चित्र लाल तथा सफेद रंगों से बने हैं। कहीं - कहीं हरे व पिले रंगों का प्रयोग किया गया हैं।
यहाँ के चित्रों के विषय पशुजीवन तथा मनुष्य के कार्यव्यापार से संबंधित है।
यहाँ चित्रों के दो स्तर मिलते है। पहले स्तर के चित्रों में- शिकार नृत्य, हिरण, सुअर, घोड़े, हाथी, जंगली भैंसे, व अस्त्रधारी घुड़सवार हैं।
दूसरे स्तर पर- मानवों को जानवरों के साथ अंतरंग मित्र के रूप के दिखाया गया हैं। जब मानव खेती व पशुपालन के तरीके समझ लिए थे।
यहां आखेटक, कृषक, ग्वाले का चित्रण किया गया हैं। पशुओ को चट्टानों से गिरते दिखाया गया हैं।
यहां पर प्राचीन प्रस्तरयुग से भी प्राचीन मानव के अस्त्र शस्त्र मिले हैं।
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