प्रतिभावान कवयित्री और गद्य लेखिका महादेवी वर्मा साहित्य और संगीत में निपुण होने के साथ-साथ कुशल चित्रकार और सृजनात्मक अनुवादक भी थीं।
प्रसिद्ध कवयित्री महादेवी वर्मा का जन्म 26 मार्च 1907 में फर्रुखाबाद (उत्तर प्रदेश) में हुआ था।
महादेवी वर्मा आधुनिक हिंदी की सर्वाधिक प्रतिभावान कवयित्रियों में से एक थी।
आधुनिक हिंदी की सबसे सशक्त कवयित्रियों में से एक होने के कारण उन्हें आधुनिक मीरा के नाम से भी जाना जाता हैं।
महादेवी की शिक्षा 1912 में इंदौर के मिशन स्कूल से प्रारम्भ हुई साथ ही संस्कृत, अंग्रेजी, संगीत तथा चित्रकला की शिक्षा अध्यापकों द्वारा घर पर ही दी जाती रही।
चित्र बनाने का शौक इन्हें बचपन से ही था।
प्रतिभावान कवयित्री और गद्य लेखिका महादेवी वर्मा साहित्य और संगीत में निपुण होने के साथ-साथ कुशल चित्रकार और सृजनात्मक अनुवादक भी थीं।
इन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से संस्कृत में परास्नातक किया।
परस्नातक के दौरान ही इनके दो काव्य संकलन नीहार और रश्मि प्रकाशित हो चुके थे।
विवाह के बाद महादेवी जी ने छात्रावास में रहकर अपनी आगे की पढ़ाई शुरू की। सन् 1919 में उनका दाखिला क्रास्थवेथ कालेज इलाहाबाद में हुआ और महादेवी जी वहीं के छात्रावास में रहती थी
1955 में इन्होंने इलाहाबाद में साहित्यकार संसद की स्थापना की।
जल रंगों में वाश शैली से बनाये उनके चित्र धुंधले रंगों के कारण कला के अनोखे नमूने माने जाते हैं।
महादेवी वर्मा द्वारा चित्रित-इलाहाबाद संग्रहालय
महादेवी वर्मा की रचनाएं:
स्मृति की रेखाएं, पथ के साथी दीपशिखा, अतीत के चलचित्र आदि इनके प्रमुख रचनाएं हैं।
मैं नीर भरी दुख की बदली, जो तुम आ जाते एक बार इनकी बहुत प्रसिद्ध कविता है। अपनी कविता नीर भरी दुख की बदली के कारण ही उनको आधुनिक युग की मीरा कहा जाने लगा।
11 सितंबर 1987 को इलाहाबाद में इनका देहांत हो गया।
सम्मान:
पद्मभूषण 1956
ज्ञानपीठ पुरस्कार 1982
पद्मविभूषण 1988
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