उत्तर प्रदेश: राज्य ललित कला अकादमी का इतिहास

 


उत्तर प्रदेश राज्य ललित कला अकादमी की स्थापना 8 फरवरी 1962 को उत्तर प्रदेश सरकार के संस्कृति विभाग की पूर्णतः वित्त पोषित स्वायतशासी इकाई के रूप में हुई थी। 

अकैडमी सबसे पहले 8 फरवरी 1962 में डालीगंज के बाबूगंज इलाके में स्थापित हुई थी। 

तब अकैडमी में सचिव के बजाय प्रदर्शनी अधिकारी हुआ करते थे। पहले प्रदर्शनी अधिकारी गजनफ्फर हुसैन सिद्दीकी थे। 

दो महीने के बाद अकैडमी कैसरबाग लाल बारादरी में आ गई थी। तब अकैडमी में राज्य संग्रहालय होता था। 

संग्रहालय बनारसी बाग नवाब वाजिदअली शाह प्राणि उद्यान परिसर में चला गया। तब से संरक्षित स्मारक लाल बारादरी में राज्य ललित कला अकैडमी संचालित है।

अकादमी के पहले अध्यक्ष प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री डॉ़ सम्पूर्णानंद थे। 

दूसरे अध्यक्ष शिक्षाविद् डॉ़ राधाकमल मुखर्जी थे, जो लववि के कुलपति भी थे। 

इसके बाद वरिष्ठ चित्रकार के.एस. कुलकर्णी, वरिष्ठ साहित्यकार राय आनंद कृष्ण और पद्मश्री दया प्रकाश सिन्हा समेत कुल 20 अध्यक्ष रहे।

इस अकादमी में बीसवीं सदी के चित्रकार और मूर्तिकारों की लगभग एक हजार अमूल्य कलाकृतियां संग्रहित हैं।

जिसमे असित कुमार हलदार, एलएम सेन, एमएफ हुसैन, पद्मश्री रणवीर सिंह बिष्ट, पद्मश्री श्याम शर्मा, हरिहर प्रसाद मेढ़, पद्मश्री क्षितिंद्र नाथ मजूमदार, मदन लाल नागर, अवतार सिंह पंवार, पद्मश्री सुधीर रंजन खास्तगीर सहित अन्य की कलाकृतियां अकादमी में संग्रहित हैं।

वर्तमान में (8 फरवरी 2021 यह लेख लिखे जाने तक) ललित कला अकादमी उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष सीताराम कश्यप जी हैं ।

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