44 साल बाद शुरू हुआ 47वां खजुराहो नृत्य समारोह

 


44 साल बाद माँ जगदंबा, कंदरिया महादेव मंदिर के प्रांगण में खजुराहो नृत्य समारोह शुरू हुआ । 

इस महोत्सव की शुरुआत  वर्ष 1975 में मंदिर प्रांगण में हुई थी। 

खजुराहो के मंदिर प्रांगण में भारतीय नृत्य कला की अद्भुत छटा देखने को मिलेगी।

संस्कृति, पर्यटन एवं आध्यात्म मंत्री सुश्री उषा ठाकुर ने शनिवार को विश्व विख्यात खजुराहो नृत्य उत्सव के 47वें समारोह का शुभारंभ किया। 

इस आयोजन की मुख्य विशेषता यह रही कि 44 वर्षों के बाद 47वें खजुराहो नृत्य महोत्सव का आयोजन माँ जगदंबा और कंदरिया महादेव मंदिर के प्रांगण में किया गया है।

खजुराहो चंदेलकालीन अमूल्य धरोहर की गाथा है। 

यह भारतीय मूल दर्शन का चित्रण है। इसमें अर्थ, धर्म, काम और मोक्ष विद्यमान है। 

खजुराहो शाक्य, शिव और वैष्णव के अद्भुत संगम की स्थली है। 

वर्ष 1838 में ब्रिटिश कैप्टन मिस्टर बट ने खजुराहो को तलाशा।

यह नृत्य समारोह वर्ष 1975 में खजुराहो मंदिर प्रांगण में प्रारंभ हुआ था। 

प्रारंभिक वर्षों में यह प्रांगण के अंदर ही आयोजित होता था, परंतु बाद में पुरातात्विक कारणों से इसका आयोजन प्रांगण के बाहर किया जाने लगा। 

पुरातत्व विभाग की अनुमति मिलने पर इस वर्ष समारोह का आयोजन मंदिर प्रांगण में ही हो रहा है।

इस अवसर पर उस्ताद अलाउद्दीन खॉ संगीत एवं कला अकादमी भोपाल द्वारा ललित कला पुरस्कार की 10 विभिन्न क्षेत्रों के लिए मूर्धन्य कलाकार प्रतिभाओं को पुरस्कार प्रदान कर शाल-श्रीफल से सम्मान किया गया। 

प्रत्येक पुरस्कार के लिए 51 हजार रूपए की राशि दी गई।

यह आयोजन 20 फरवरी से 26 फरवरी तक चलेगा।

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