बाटिक कला को एक नई पहचान दिलाने वाले प्रसिद्ध बाटिक कलाकार यासला बलैया का 23 दिसंबर 2020 को 81 साल के उम्र में हैदराबाद में निधन हो गया।
तेलंगाना के मुख्यमंत्री इस दुःखद निधन पर शोक व्यक्त करते हुए ट्वीट किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि श्री बलैया का निधन कला जगत के लिए एक बहुत बड़ा नुकसान हैं। बाटिक कला के माध्यम से ग्राम्य जीवन की सुंदरता को दिखाया । उन्होंने परिवार के सदस्यों के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त की।
यासला बलैया का जन्म 1939 में इब्राहिमपुर( सिद्धिपेट) में हुआ था। इन्होंने 1962 में ड्राइंग एंड पेंटिंग में एमए किया फिर बी.एड पूरा करने के बाद कला शिक्षक के रूप में नौकरी की।
इन्हें "बाटिक बलैया" उपनाम से भी जाना जाता हैं।
अवार्ड-
इन्होंने कला क्षेत्र में कई अवार्ड से सम्मानित किया गया। जिनमे से 2003 में ऑल इंडिया फाइन आर्ट्स एन्ड क्राफ्ट्स सोसायटी (AIFACS) द्वारा दिया गया सम्मान भी हैं।
बाटिक कला क्या है?
बाटिक कला भारत की एक प्राचीन लोककला हैं।इसमे कपड़े पर चित्र बनाया जाता है । बाटिक कला का अर्थ मोम से लिखना या चित्र बनाने से है। कपड़े पर चित्र बनाने के बाद किसी स्थान को अगर कलर नही करना है यानी बिना रंग के रखना है तो उस स्थान पर मोम लगा कर कपड़े को रंग में डुबो दिया जाता है। फिर जहा पर मोम लगा होता है वहा रंग नही चढ़ता।
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