ड्राय पॉइंट एचिंग के मार्ग निर्माता कहलानेे वाले मुकुल चन्द्र डे ने लगभग 100 कापर प्लेट और 2000 हजार चित्र और ड्राइंग्स का निर्माण किया।
इनका जन्म 23 जुलाई 1895 को श्रीधर गोला (बांग्लादेश) में हुआ।
1912 में इन्होंने शांतिनिकेतन कला महाविद्यालय में प्रवेश लिया और रविंद्र नाथ टैगोर और गुरु अवनिन्द्र नाथ टैगोर के सानिध्य में कार्य करने का अवसर प्राप्त हुआ।
1916 में शिक्षा पूर्ण करने के बाद मुकुल चंद्र डे रविंद्र नाथ टैगोर के साथ जापान की यात्रा पर गए। यह प्रथम भारतीय कलाकार थे जो प्रिंट मेकिंग कार्य का प्रशिक्षण लेने विदेश गए।
1917 में जब भारत लौटे तब अपना सारा ध्यान एचिंग करने में लगाया। अमेरिका में छापा चित्रण की अम्लांकन तकनीक से प्रभावित रहे। तथा ड्राइप्वाइंट में विशेषता हासिल की।
डे की एचिंग कलाकृतियों में रेखांकन व पोत का समावेश है। इनके ग्राफिक तकनीक पर बनाये गए उत्कृष्ट कृतियों में- "गांव की कुमारी", "अल्बर्ट आइंस्टाइन", "एनी बेसेंट", "महात्मा गांधी", "रविन्द्र नाथ टैगोर", "अवनींद्र नाथ टैगोर", "चांदनी रात में गंगा", प्रमुख हैं ।
ड्राइप्वाइंट में बनी "नृत्यरत लड़की" उत्कृष्ट हैं।
इन्होंने अनेक भित्ति चित्रों का भी निर्माण किया।
इन्होंने बंगाल शैली व बंगाल के लोकजीवन पर भी कार्य किया। ऐसे कृतियों में- गंगा स्नान, पालदार नौकाएं, व तर्पण प्रमुख हैं।
1929 में मुकुल डे कोलकाता स्कूल ऑफ आर्ट के प्रथम भारतीय प्राचार्य बने। और 1943 में सेवानिवृत्त होने तक रहे।
मुकुल डे के छोटे भाई मनीष डे भी बंगाल स्कूल ऑफ आर्ट के प्रसिद्ध कलाकार रहे।
मुकुल डे के ज्यादातर
कार्य इंडियन म्यूजियम कोलकाता, नेशनल गैलरी ऑफ मॉडर्न आर्ट नई दिल्ली, और विक्टोरिया एन्ड अल्बर्ट म्यूजियम में देखे जा सकते हैं।
1 मार्च 1989 को शांतिनिकेतन में इनका देहांत हो गया।.....
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