आधुनिक कलाकार जे. स्वामीनाथन का जन्म (21 जून 1928 - 24 अप्रैल 1994) को शिमला के एक मध्यमवर्गीय किसान परिवार में हुआ था ।
इन्होंने कला की शिक्षा कलाकार शैलोज मुखर्जी से प्राप्त की.
जे. स्वामीनाथन ने अपनी कला में आदिम कला अथवा प्रागैतिहासिक कला के टोटम चिन्हों का प्रयोग करने के साथ-साथ भारतीय मिथकों जैसे ओम, स्वास्तिक, कमल, लिंग, सर्प, हाथ की छाप आदि का प्रयोग किया।
इन्होंने काल्पनिक ज्यामितिय चित्रण भी किया। इन चित्रों को उन्होंने "अंतरिक्ष की ज्यामितिय" कहा।
जे. स्वामीनाथन की कला में तांत्रिक प्रभाव दिखाई देता है।
दोस्तों जे. स्वामीनाथन ग्रुप 1890 के संस्थापक भी थे , और वह इस कला संगठन के प्रचार प्रसार के लिए 1966 में कंट्रा नामक कला पत्रिका का प्रकाशन प्रारंभ किया था।
इन्होंने हिंदुस्तान नामक समाचार पत्र तथा सरिता नामक पत्रिका में बच्चों के लिए कहानियां भी लिखी।
जे. स्वामीनाथन को भोपाल में रूपंकर (भारत भवन) का प्रथम निदेशक नियुक्त किया गया,
जिसका उद्घाटन 13 फरवरी 1982 को हुआ था।
जे स्वामीनाथन को मरणोपरांत मध्य प्रदेश सरकार ने कालिदास सम्मान प्रदान किया।
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