अतियथार्थवादी कलाकार जॉन मिरो
अतियथार्थवादी कलाकार जॉन मिरो एक चित्रकार, मूर्तिकार और कुम्हार थे। Joan Miro का जन्म 20 अप्रैल 1893 को बार्सिलोना (स्पेन) में हुआ था।
इन्होंने अपनी कला की शुरुआत बर्सिलोना के कला अकादमी में 14 साल की उम्र में किया था।
अपने प्रारंभिक कला जीवन में जॉन मीरो फाववाद, घनवाद, वान गॉग, गोगिन से प्रभावित रहें तथा 1924 में अति यथार्थवाद की ओर अग्रसर हुए।
जॉन मिरो ने ऐसे आकार सृजित किए जो काल्पनिक होते हुए भी सूर्य, चंद्रमा, मानव आकृतियां, पशु-पक्षी, सितारे आदि जैसे प्रतीत होते हैं तथा उन पर शरीर रचना के सिद्धांत आरोपित नहीं होते।
इन्होंने प्रारंभिक दौर में काल्पनिक दृश्य चित्रण किया। इनके काल्पनिक दृश्य चित्रों में वृक्षों के कान, फूलों के आंख आदि दर्शाए गए । साथ ही विचित्र आकारों वाले काल्पनिक प्राणियों को दर्शाया गया । इस प्रकार के दृश्य चित्रों में 'जोता हुआ खेत' विशेष महत्वपूर्ण हैं।
अन्य अतियथार्थवादी कला के विपरीत जॉन मिरो की कला में सौंदर्य के दर्शन भी होते हैं ।
25 दिसंबर 1983 को इनकी मृत्यु हो गयी।
इनके कुछ प्रमुख चित्र हैं-
चांद को देखकर भोंकता हुआ कुत्ता ,
चांदनी रात में स्त्रियां व पंछी ,
सूर्य के सामने कुत्ता व आकृतियां
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photo credit-wikipedia |
आपको बता दे "चांद को देखकर भोंकता हुआ कुत्ता" (Dog Barking at the Moon) यूपी टीजीटी कला वर्ष 1999 के एग्जाम में पूछा भी जा चुका हैं।
यह आयल पेंटिंग 1926 में बनाई गई थी।
अभी यह चित्र फिलाडेल्फिया संग्रहालय में है।
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