इन दिनों में उत्तर मध्य सांस्कृतिक केंद्र, प्रयागराज (इलाहाबाद) में (संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार) द्वारा आयोजित राष्ट्रीय शिल्प मेले का आयोजन किया गया हैं , जो 10 दिसंबर 2019 तक चलेगा।
💥परीक्षा उपयोगी जानकारी-
मुख्यालयों और राज्यों के साथ कुल 7 क्षेत्रीय सांस्कृतिक केन्द्र हैं जो इस प्रकार हैं -
1- उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र इलाहाबाद प्रयागराज
मध्य प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा, बिहार, उत्तर प्रदेश, उत्तरांचल और दिल्ली (सदस्य राज्य)।
2-उत्तर क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र पटियाला
हिमाचल प्रदेश, जम्मू और कश्मीर, राजस्थान, हरियाणा, पंजाब और चंडीगढ़ संघ शासित प्रदेश (सदस्य राज्य)।
3- पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र उदयपुर
गोवा, गुजरात, राजस्थान, महाराष्ट्र, संघ शासित प्रदेश दमन, दीव और दादरा, नगर हवेली (सदस्य राज्य)।
4-उत्तर पूर्व क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र दीमापुर
असम, त्रिपुरा, मणिपुर, अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड और मेघालय (सदस्य राज्य)।
5-पूर्वी क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र कोलकाता
बिहार, पश्चिम बंगाल, उड़ीसा, असम, त्रिपुरा, मणिपुर, सिक्किम और संघ शासित प्रदेश अण्डमान और निकोबार द्वीप समूह (सदस्य राज्य)।
6-दक्षिण क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र तँजावुर
केरल, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के संघ शासित प्रदेश, लक्षद्वीप, पांडिचेरी
(सदस्य राज्य)।
7-दक्षिण मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र नागपुर
मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश (सदस्य राज्य)।
💥क्षेत्रीय सांस्कृतिक केंद्र के बारे में (जेडसीसी)-
संस्कृति मंत्रालय के तहत एक स्वायत्त निकाय के रूप में कार्यरत सात क्षेत्रीय सांस्कृतिक केंद्र, 1985 से 1986 के दौरान स्थापित किए गए थे, जिनका उद्देश्य संगीत, नाटक साहित्य के वृहद् शास्त्र विधाओं के अंतर्गत आने वाली कलाओं को परिरक्षित रखने, उसमें नवीनता लाने तथा उनके प्रेक्षपण एवं प्रसार में अति वृद्धि लाने, समृद्ध विविधता और क्षेत्र के विभिन्न कलाओं की विशिष्टता को विकसित और बढ़ावा देने और उनकी सांस्कृतिक विरासत के बारे में क्षेत्र की जनता की जागरूकता में उन्नयन तथा अति वृद्धि करना है। लोक और जनजातीय कलाओं को प्रोत्साहित करने और लुप्त होते कला रूपों को संरक्षित और संवर्धन करने के लिए विशेष प्रयास किया जाना है।
क्षेत्रीय सांस्कृतिक केन्द्र, कलाकारों को एक बहुत ही मजबूत आधारभूत संरचना प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा चुके हैं और लोक कलाकारों को भारतीय कला और संस्कृति के संरक्षण, प्रचार और प्रसार की दिशा में अपनी प्रतिभा दिखाने के लिए बहुत कुछ है। नियमित थियेटर शो, कला प्रदर्शनी, हस्तकला मेले, नृत्य और संगीत के प्रदर्शन और प्रलेखन और प्रकाशन कार्य भी नियमित रूप से इन केंद्रों द्वारा किए जा रहे हैं। केंद्रों में लोक कला रूपों का विशाल डेटा बेस है जो समय-समय पर प्रकाशित भी किए जा रह है। संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार के केंद्रीय प्रायोजित योजना के कार्यान्वयन में महत्वपूर्ण भूमिका भी निभा रहे हैं। जेड सी सी, भारत सरकार और संस्कृति मंत्रालय की क्षेत्र एजेंसी के रूप में भी काम कर रहे हैं।
राष्ट्रीय मेले की कुछ झलकियां-
www.tgtpgtkala.com
💥परीक्षा उपयोगी जानकारी-
मुख्यालयों और राज्यों के साथ कुल 7 क्षेत्रीय सांस्कृतिक केन्द्र हैं जो इस प्रकार हैं -
1- उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र इलाहाबाद प्रयागराज
मध्य प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा, बिहार, उत्तर प्रदेश, उत्तरांचल और दिल्ली (सदस्य राज्य)।
2-उत्तर क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र पटियाला
हिमाचल प्रदेश, जम्मू और कश्मीर, राजस्थान, हरियाणा, पंजाब और चंडीगढ़ संघ शासित प्रदेश (सदस्य राज्य)।
3- पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र उदयपुर
गोवा, गुजरात, राजस्थान, महाराष्ट्र, संघ शासित प्रदेश दमन, दीव और दादरा, नगर हवेली (सदस्य राज्य)।
4-उत्तर पूर्व क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र दीमापुर
असम, त्रिपुरा, मणिपुर, अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड और मेघालय (सदस्य राज्य)।
5-पूर्वी क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र कोलकाता
बिहार, पश्चिम बंगाल, उड़ीसा, असम, त्रिपुरा, मणिपुर, सिक्किम और संघ शासित प्रदेश अण्डमान और निकोबार द्वीप समूह (सदस्य राज्य)।
6-दक्षिण क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र तँजावुर
केरल, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के संघ शासित प्रदेश, लक्षद्वीप, पांडिचेरी
(सदस्य राज्य)।
7-दक्षिण मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र नागपुर
मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश (सदस्य राज्य)।
💥क्षेत्रीय सांस्कृतिक केंद्र के बारे में (जेडसीसी)-
संस्कृति मंत्रालय के तहत एक स्वायत्त निकाय के रूप में कार्यरत सात क्षेत्रीय सांस्कृतिक केंद्र, 1985 से 1986 के दौरान स्थापित किए गए थे, जिनका उद्देश्य संगीत, नाटक साहित्य के वृहद् शास्त्र विधाओं के अंतर्गत आने वाली कलाओं को परिरक्षित रखने, उसमें नवीनता लाने तथा उनके प्रेक्षपण एवं प्रसार में अति वृद्धि लाने, समृद्ध विविधता और क्षेत्र के विभिन्न कलाओं की विशिष्टता को विकसित और बढ़ावा देने और उनकी सांस्कृतिक विरासत के बारे में क्षेत्र की जनता की जागरूकता में उन्नयन तथा अति वृद्धि करना है। लोक और जनजातीय कलाओं को प्रोत्साहित करने और लुप्त होते कला रूपों को संरक्षित और संवर्धन करने के लिए विशेष प्रयास किया जाना है।
क्षेत्रीय सांस्कृतिक केन्द्र, कलाकारों को एक बहुत ही मजबूत आधारभूत संरचना प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा चुके हैं और लोक कलाकारों को भारतीय कला और संस्कृति के संरक्षण, प्रचार और प्रसार की दिशा में अपनी प्रतिभा दिखाने के लिए बहुत कुछ है। नियमित थियेटर शो, कला प्रदर्शनी, हस्तकला मेले, नृत्य और संगीत के प्रदर्शन और प्रलेखन और प्रकाशन कार्य भी नियमित रूप से इन केंद्रों द्वारा किए जा रहे हैं। केंद्रों में लोक कला रूपों का विशाल डेटा बेस है जो समय-समय पर प्रकाशित भी किए जा रह है। संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार के केंद्रीय प्रायोजित योजना के कार्यान्वयन में महत्वपूर्ण भूमिका भी निभा रहे हैं। जेड सी सी, भारत सरकार और संस्कृति मंत्रालय की क्षेत्र एजेंसी के रूप में भी काम कर रहे हैं।
राष्ट्रीय मेले की कुछ झलकियां-
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