बाघ गुफा चित्र

                         

                           बाघ की गुफाये गुप्त काल के श्रेष्ठतम उदाहरणो में से एक है. यह बाघ गुफाये प्राचीन ग्वालियर राज्य में विंध्याचल पर्वत श्रेणी के निकट ही नर्मदा की सहायक नदी बाघिनी से 2 3 मील दूर 'बाघ' नामक गावं के पास स्थित है. बाघिनी नदी या बाघ ग्राम के पास होने के कारण इसका नाम बाघ गुफा पड़ा. यहाँ  पर कुल 9  विहार गुफाये है.स्थानीय लोग इन गुफाओ को पंच-पांडु ( पांच पांडव ) की गुफाओ के नाम से भी पुकारते है. वर्तमान में ये गुफाये मध्य प्रदेश के अंतर्गत आ गयी है.


                                           खोज -

                              बाघ के चित्र सौकड़ो वर्षो तक अज्ञातवास में पड़े रहे .1818 ई. में सर्वप्रथम इन गुफाओ का परिचय तथा विवरण लेफ्टिनेंट डैन्गरफील्ड ने बम्बई से प्रकाशित किया . इन गुफाओ के चित्रों का 1907-08 ई. में कर्नल सी.ई. ल्यूवर्ड ने निरीक्षण किया और पुनः यह चित्र संसार के समक्ष आये.
                              
                            सन 1920 में चित्रकार मुकुल डे ने इन चित्रों की प्रतिलिपिया तथा स्केच तैयार किये थे .पुनः 1921 में 'हाल्दर' व् नन्द लाल जैसे चित्रकारों ने भी प्रतिलिपियाँ तैयार की. इसके कुछ समय बाद सुरेन्द्रनाथकार , आप्टे , भौसले, जगताप आदि कलाकारों के दल ने भी इन चित्रों की प्रतिलिपियाँ बनाई . सन 1951  में इन्हें रास्ट्रीय स्मारक घोषित किया गया. 

                                      निर्माण काल -

                           बाघ गुफाओ के अजन्ता गुफा के संख्या 1 व् 2 के समकालीन माना जाता है. इन गुफाओ का निर्माण काल विभिन्न विद्वानों ने पाचवी शती  से सातवी शती के मध्य बताया है. कई विद्वानों ने बाघ गुफा के सम्बन्ध में लेख  लिखे ,इनमे डब्ल्यू इरिस्किन , ई इम्पे , कर्नल सी. डी. लुआर्ड, असित कु, हाल्दर तथा श्री मुकुल डे आदि ने बाघ गुफाओ पर लेख प्रकाशित किये .

                                        गुफा चित्र संख्या व् इनके नाम-  

                                  बाघ में गुफाओ की संख्या 9 है किन्तु 7 गुफाओ के चित्र पूर्ण रूप से नष्ट हो चुके है. गुफा संख्या 4 व् 5 में ही कुछ चित्र शेष है पर वे भी क्षत-विक्षत अवस्था में है 

                                  पहली गुफा का नाम 'गृह' दूसरी का 'पंच पांडु' तीसरी का 'हाथीखाना' चौथी का 'रंगमहल' पाचवी का 'पाठशाला' छठी , सातवी , आठवी व् नवी गुफाओ मार्ग अवरुद्ध होने से इनका कोई नाम नही रखा जा सका .

                                   पहली गुफा (गृह गुफा) बौद्ध भिक्षुओ के निवास हेतु बनी लगती है .इस गुफा में कोई मूर्ति या चित्र नही है.
                                  दूसरी गुफा पांड्वो की गुफा कहलाती है, ये गुफा किसी समय सम्पूर्ण चित्रित थी .देख रेख के आभाव में प्रायः सभी चित्र कालकलवित हो गये .
                                   तीसरी गुफा 'हाथीखाना' है इसमें चित्रों के कुछ अवशेष है 
                                   चौथी महत्वपूर्ण गुफा 'रंगमहल' ( Hall of Colours) कहलाती है. यह चैत्य गुफा है . चित्र छठी शातब्दी में बने लगते है. इस गुफा के बाहर बरामदे में 45 फीट लम्बा 6 फीट चौड़ा टुकड़ा शेष है इस टुकड़े में 6 चित्र उपलब्ध है 
                                
                             

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