अमूर्तन कला के पितामह वी. एस. गायतोंडे

 


कौन हैं वी. एस गायतोंडे:

वी. एस गायतोंडे अमूर्तन कला के चित्रों के पितामह के रूप में जाने जाते हैं।

इनका जन्म 1924 में नागपुर (महाराष्ट्र) में हुआ। और इन्होंने सर जे. जे. स्कूल ऑफ आर्ट से कला की शिक्षा ली।

वी. एस गायतोंडे प्रोग्रेसिव आर्टिस्ट ग्रुप (PAG) के चुनिंदा सदस्यों में से एक थे। जिसमें रजा, हुसैन, आरा, अम्बा दास गाड़े, मूर्तिकार बाकरे जैसे सदस्य शामिल थे।

वी. एस गायतोंडे ने अपने चित्रों में  अमूर्तता होते हुए भी स्वंय को कभी अमूर्त चित्रकार नही माना।

इनकी प्रारंभिक कला शैली जैन तथा बसोहली चित्रों से प्रभावित थी। और इन्होंने अपनी कला में विशिष्ट धारणाओं का समावेश किया।

वी. एस गायतोंडे की कला पिकासो के घनवादी आकारों की रंग योजना व हेनरी मातीस व पॉल क्ली के रेखांकन से प्रभावित हुई।

इन्होंने दिल्ली , मुम्बई न्यूयॉर्क आदि जगहों पर एकल प्रदर्शनियां  की। इन्होंने यूरोप की भारतीय कला प्रदर्शनी, रॉयल अकेडमी ऑफ आर्ट के भारतीय कला उत्सव तथा त्रिनाले लन्दन में भारत का प्रतिनिधित्व किया।

1971 में भारत सरकार द्वारा पद्मश्री सम्मान भी मिला।

10 अगस्त 2001 में इनकी मृत्यु हो गयी।

इनकी कला का दुःखद पहलू:

पश्चिमी कलाकार विंसेंट वान गोंग जब तक जीवित रहा उसकी कला को वो सम्मान नही मिला , जिसका वो हकदार था। मरने के बाद उसकी पेंटिंग करोड़ो में बिकी। ठीक वैसा ही गायतोंडे जी के साथ भी रहा। 

गायतोंडे तब चर्चा में आये जब 2015 में उनकी एक पेंटिंग  करीब 29 करोड़ में बिकी।

1971 में भारत सरकार द्वारा पद्मश्री सम्मान भी मिला।

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