प्रयागराज के म्यूजियम में फिर रखा गया 'सेंगोल'

 


उत्तर प्रदेश: प्रयागराज में सेंगोल की प्रतिकृति म्यूजियम में रखे जाने के बाद उसे देखने के लिए लोगो को भारी भीड़ उमड़ रही हैं।

आजादी के बाद अंग्रेजों ने सत्ता ट्रांसफर के प्रतीक के तौर पर यह सेंगोल पंडित जवाहर लाल नेहरू को दिया था जिसके बाद इसे यहां म्यूजियम में रखा गया था। बाद में इसे दिल्ली म्यूजियम और फिर वहां से संसद भवन में शिफ्ट कर दिया गया। 

दिल्ली में मई 2023 को नए संसद भवन में प्रधानमंत्री मोदी ने सत्ता ट्रांसफर के प्रतीक सेंगोल को स्थापित किया था। अब प्रयागराज के म्यूजियम में उसी सेंगोल की प्रतिकृति रखी गई है। 

सेंगोल की प्रतिकृति को 25 सितंबर 2023 को उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने जनता के देखने के लिए आधिकारिक तौर पर म्यूजियम में रखा था।

प्रयागराज संग्रहालय के निदेशक राजेश प्रसाद ने कहा, सेंगोल' की प्रतिकृति में सब कुछ समान है, चाहे वह आयाम हो या वजन, उन्होंने कहा कि प्रतिकृति के लिए सोने की परत वाली पीतल की सामग्री का उपयोग किया गया है जिसे एक सप्ताह में बनाया गया है । असली 'सेंगोल' सोने की परत के साथ चांदी से बना है। 

'सेंगोल', तमिलनाडु का एक ऐतिहासिक राजदंड है। चोल-युग के समय का सेंगोल 1947 से ब्रिटिश सत्ता हस्तांतरण का प्रतीक है। 

'सेंगोल' की ऊंचाई लगभग 138.4 सेंटीमीटर है, और इसे 4 नवंबर, 2022 को राष्ट्रीय संग्रहालय, नई दिल्ली में स्थानांतरित कर दिया गया था। 

अधिकारियों ने बताया कि प्रयागराज में आम बोलचाल की भाषा में 'सेंगोल' को 'राज दंड' कहा जाता था, जबकि संग्रहालय के रिकॉर्ड में इसका उल्लेख 'सुनहरी छड़ी' के रूप में किया गया है।

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