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20 दिसंबर 1917 को लाहौर (पाकिस्तान) में जन्मे धनराज भगत मूर्तिकार होने के साथ साथ चित्रकार भी थे। लेकिन मुख्यतः मूर्तिकार के रूप में जाने गए।
इन्होंने लाहौर के " मयो स्कूल ऑफ आर्ट" से मूर्तिशिल्प में डिप्लोमा लिया। और वही पर अध्यापन कार्य की शुरुआत की।
इसके बाद वह "दिल्ली कालेज ऑफ आर्ट" में मूर्तिकला विभाग के अध्यक्ष भी रहे।
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ये दिल्ली शिल्पी चक्र से भी जुड़े रहे।
इनके मूर्तिशिल्प यथार्थवादी होने के साथ साथ घनवाद से प्रभावित हैं।
इन्होंने पत्थर , धातु, काष्ठ, सीमेंट, लकड़ी, आदि का प्रयोग करते हुए मूर्तिशिल्प बनाये।
प्रमुख मूर्तिशिल्प-
●घोड़े की नालबन्दी (imp.) (प्रस्तर)
●द किंग
●द किस
●बासुरी वादक
●सितार वादक
●कास्मिक मैन (imp.)(प्लास्टर)
●मोनार्क श्रृंखला
●शिवा डांस
चित्रकार के रूप में इन्होंने दृश्य चित्रण किया। इनका दृश्य चित्र " झोपड़ी" प्रसिद्ध हैं।
इन्हें 1977 में भारत सरकार द्वारा पद्मश्री से सम्मानित किया गया।
1988 में इनकी मृत्यु हो गयी।
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