पद्मश्री प्राप्त समकालीन कलाकार रणवीर सिंह विष्ट की कला: लखनऊ आर्ट स्कूल के प्राचार्य Ranbir Singh Bisht

 


●समकालीन चित्रकारों में गिने जाने वाले रणवीर सिंह विष्ट का जन्म 4 अक्टूबर 1928 को लैंसडाउन (गढ़वाल) [उत्तराखंड] में हुआ था।

●इनके कला गुरु ललित मोहन सेन थे।

●रणवीर सिंह विष्ट 1948 में हाईस्कूल करने के बाद लखनऊ आ गए। और लखनऊ कला महाविद्यालय में प्रवेश लिया। 1948 से 1954 तक इन्होंने राजकीय एवं शिल्प विद्यालय लखनऊ से शिक्षा पूरी की। 

●रणवीर सिंह विष्ट  लखनऊ कला एवं शिल्प महाविद्यालय के प्राचार्य भी रहे।

■शिक्षा:

●कॉलेज ऑफ आर्ट्स एंड क्राफ्ट्स, 1954 से ललित कला में डिप्लोमा (पांच वर्ष की अवधि)

■संभाले गए पद:

●प्राचार्य, कॉलेज ऑफ आर्ट्स, लखनऊ विश्वविद्यालय (1973 - 1989)

●डीन, फैकल्टी फाइन आर्ट्स, लखनऊ विश्वविद्यालय (1968 -1972)

  • ■नोट- 
  • लखनऊ कला महाविद्यालय के पहले प्रधानाचार्य असीत कुमार हल्दर रहे हैं।

●रणवीर सिंह विष्ट मुख्यतः दृश्य चित्रकार के रूप में जाने गए। इन्होंने लखनऊ व आसपास के और पहाड़ी दृश्यों के जल रंगों में लगातार दृश्य चित्र बनाये।

●रणवीर सिंह विष्ट के कला जीवन मे कई पड़ाव आये और अन्य विषयों पर भी चित्र बनाये लेकिन उन्हें सबसे ज्यादा प्रभावित किया प्रकृति ने खासकर पहाड़ी दृश्यों ने।

●रणवीर सिंह विष्ट ने 1960 के दशक के अंत मे अमूर्त शैली में कुछ ग्रामीण दृश्य व "नगरीय दृश्य" श्रृंखला बनाये। नगरीय दृश्य श्रृंखला के एक चित्र पे उन्हें राष्ट्रीय पुरस्कार भी मिला था। 

●और 1970 के दशक में इन्होंने " टेम्पटेशन " नाम से रेखा चित्र और एचिंग में एक सीरीज बनाई, जिनमे एक अनावृत नारी और उसके आगे पीछे घूमता हुआ एक श्वान(कुत्ता) दिखाया है।

●रणवीर सिंह विष्ट ने 1960 के आस पास "नाईट" श्रृंखला की शुरुआत की और तैल रंगों का ज्यादा प्रयोग किया। तैल रंगों के चित्रण में उन्होंने देगा (पश्चिमी कलाकार) की भांति तारपीन के तेल का ज्यादा प्रयोग किया और अपने चित्रों को पारदर्शिता प्रदान की। इस तरह की विशिष्टता उनके  " सिटीस्केप " चित्रों की श्रृंखला में दिखती हैं।

●1980 के दशक में वे पुनः अपने प्रिय दृश्य चित्रण पर लौट आये और अपने जीवन की श्रेष्ठतम कृतियां " द ब्लू सीरीज " निर्मित की।

नोट- ब्लू सीरीज की पेंटिग गढ़वाल हिमालय से प्रेरित थी। ब्लू सीरीज के कुछ पेंटिग देखे👇






●रणवीर सिंह विष्ट ने 1967-68 में अमेरिका और फ्रांस की यात्रायें भी की। इनको पद्मश्री और ललित कला अकादमी की तरफ से पुरस्कृत भी किया गया ।

■पुरस्कार:

  • पद्म पुरस्कार: पद्मश्री (1991)
  • कला रत्न , एआईएफएसीएस, नई दिल्ली (1991)
  • राष्ट्रीय ललित कला अकादमी के फेलो (1988)
  • उत्तर प्रदेश राज्य ललित कला अकादमी के फेलो (1984)
  • दृश्य कला के लिए यूनेस्को फैलोशिप (1967-68)
  • राष्ट्रीय प्रदर्शनी पुरस्कार (1965)

इन्होंने सोलो प्रदर्शनियां भी आयोजित की

■आयोजित सोलो प्रदर्शनियां:

  • 15  नई दिल्ली में
  • लखनऊ में 8
  • 4 बंबई में
  • 2 मसूरी में
  • शिमला में 1
  • 1 झांसी में
  • कानपुर में 1
  • इलाहाबाद में 1
  • चंडीगढ़ में 1
  • 1 पौड़ी में
  • 1 न्यूयॉर्क में

●25 सितम्बर 1998 को लखनऊ में ही इनका देहांत हो गया।

■याद रखने योग्य -(परीक्षा उपयोगी)

●असंख्य रेखा चित्र बनाये।

●अमूर्त चित्र भी बनाये।

●चटक तैल रंगों में काम किया।

●पहाड़ी दृश्य चित्र बनाये।

●रंगों को बिखेर कर सीधे टयूब द्वारा चित्रण।

●मुख्यतः दृश्य चित्रकार के रूप में जाने गए।

■अन्य महत्वपूर्ण बातें-

उत्तर प्रदेश का "राज्य संस्कृति पुरस्कार" (पहले यश भारती ) के तहत आधुनिक चित्रकला के लिए  " रणवीर सिंह विष्ट " पुरस्कार दिए जाने की घोषणा फरवरी 2020 में की गई। 

■उत्तर प्रदेश के अन्य चित्रकला, मूर्तिकला,और लोक कला के क्षेत्र में दिए जाने वाले पुरस्कार देखे । इस लिंक पे जाए👉राज्य संस्कृति पुरस्कार

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