67 वर्ष की आयु में चित्रकारी शुरू करने वाले नोबेल विजेता रवींद्रनाथ टैगोर Art of Rabindranath Tagore


रवींद्रनाथ टैगोर [7 मई1861-7अगस्त1941]

1913 में जब रवींद्र नाथ टैगोर को उनकी रचना "गीतांजलि" के लिए "नोबेल" पुरस्कार मिला तब वे विश्व प्रसिद्ध कवि बन गए थे।रवीन्द्र नाथ टैगोर को कवि, कहानीकार, नाटककार, उपन्यासकार, विचारक के रूप में ख्याति मिली। चित्रकारी तो उन्होंने अपने जीवन के उत्तरार्द्ध में शुरू की थी। 67 वर्ष की आयु पूरी करने के बाद रवींद्र नाथ टैगोर चित्रकला की तरफ मुड़े थे।

7 मई 1861 को कलकत्ता के जोड़ासांकू स्थित टैगोर भवन में इनका जन्म हुआ। इन्होंने कभी चित्रकला का प्रशिक्षण नही लिया। लेकिन जिस समय रवींद्र नाथ टैगोर चित्रकला की ओर मुड़े उस समय इनके भतीजे और बंगाल शैली के जनक अवनींद्र नाथ टैगोर पूरी तरह चित्रकला में सक्रिय थे। यद्यपि रवींद्रनाथ टैगोर अपने भतीजे अवनींद्र नाथ टैगोर से प्रेरित अवश्य हुए थे, लेकिन उनकी कला पर अवनींद्र नाथ या किसी भी भारतीय कलाकार का प्रभाव दिखाई नही देता हैं। 

रवींद्रनाथ टैगोर ने प्रारंभ में जीव-जंतुओं काल्पनिक पक्षियों के चित्र स्याही के पेन से तैयार किया था। वे कपड़े के टुकड़ेअंगुलियों को स्याही में डुबो कर चित्रण करते थे। इन्होंने राक्षसी आकृतियों, भूत-प्रेतों आदि के काल्पनिक चित्र तैयार किये।


रवींद्र नाथ टैगोर की कला बालपन से लेकर व्यस्तता तथा आधुनिकता की ओर प्रगति करती हुई चित्रकला हैं। प्रसिद्ध कला समीक्षक आनंद कुमार स्वामी ने इनकी कला को Not Childish But Like child( बालपन की नही बल्कि बच्चों जैसी कला) बताया हैं।

रवींद्र नाथ टैगोर  सदैव अपनी कला में नए प्रयोग करते रहते थे। इन्होंने किसी बनी बनाई पद्धति या शैली के अनुरूप चित्रण नही किया। इन्होंने अपने चित्रों में रंग भरने के लिए फूलों का प्रयोग किया। फूलों की पंखुड़ियों को घिसकर चित्रो में रंग भरते थे। और अपने चित्रो में स्वर्ण प्रभाव दिखाने के लिए हल्दी का प्रयोग करते थे। और सूर्य की किरणें दर्शाने के लिए कागज में खाली स्थान छोड़ देते थे। 

रवींद्रनाथ टैगोर ने लगभग 20,000 चित्र बनाये थे। इन्होंने अंडाकार मानव शीर्षों की रचना की थी।

रवींद्रनाथ टैगोर ने अपने चित्रों की प्रथम प्रदर्शनी 1930 में पेरिस में लगायी। भारत मे इनकी प्रदर्शनी कलकत्ता(1932)  और बम्बई (1933) में हुई। बम्बई में जब इनके चित्रों की प्रदर्शनी लगी तो लोगो ने इनके चित्रो की काफी आलोचना की। और समझ से परे बताया। लेकिन इन आलोचनाओं से रवींद्रनाथ टैगोर को कोई फर्क नही पड़ा। एक जगह उन्होंने लिखा हैं" लोग मुझसे मेरे चित्रों का अर्थ पूछते हैं, उद्देश्य पूछते हैं, उनके उत्तर मैं चित्रों की भांति "मौन" से ही दे देता हूँ

रवींद्रनाथ टैगोर ने सभी प्रकार के रंगों का प्रयोग किया। उनके चित्रों का प्रमुख विषय " नारी " था। विशेष रूप से " भारतीय नारी "।

7 अगस्त 1941 को इनका देहावसान हो गया।

इनके कुछ प्रमुख चित्र:
मशीन मैन, चिड़िया, पक्षी, कूदता हुआ हिरण, दृश्य चित्र, पक्षी युगल, थके हुए यात्री, प्राचीन कानाफूसी (स्मृति चित्र), सफेद धागे(आत्म चित्र)।

रवींद्रनाथ टैगोर से जुड़ी अन्य महत्वपूर्ण बातें -

रवींद्रनाथ टैगोर के चित्र आधुनिक विमूर्त शैली के हैंइन्होंने परंपरावादी व यथार्थवादी चित्रकला को न अपनाकर आधुनिक शैली को अपनाया, जिसे समन्वयात्मक शैली कहा गया।

  • रवींद्रनाथ टैगोर की कर्मभूमि शांतिनिकेतन थी।
  • 1901 में रवींद्रनाथ टैगोर ने शांतिनिकेतन की स्थापना की।
  • 1915 में रवींद्रनाथ टैगोर ने विचित्रा क्लब की स्थापना की।
  • 1919 में रविंद्र नाथ टैगोर ने शांति निकेतन में " कला भवन " की स्थापना की।
  • 1921 में विश्वभारती विश्वविद्यालय बना ।


कला भवन- शांतिनिकेतन


(आज शांतिनिकेतन का नाम  विश्वभारती  हैं। और यह कोलकाता से 180 किमी उत्तर की ओर  पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले में स्थित हैं।)

📝रवींद्रनाथ टैगोर से संबंधित प्रश्न जो यूपी टीजीटी पीजीटी एग्जाम में पूछे गए।
1- रवींद्रनाथ टैगोर द्वारा रचित 'गीतांजलि' के लिए चित्रण कार्य किसने किया था? 
TGT EXAM 2005

2- यह कथन किसका है ?
मुझे केवल एक बात कहनी है और वह यह कि हमेशा अपने सिद्धांत का उद्देश्य ही देते रहने की चेष्टा ना करो बल्कि करो वह की प्रेम से अपने आप को ही दे डालो।
PGT EXAM 2009

3-रविंद्र नाथ टैगोर के चित्र किस प्रकार के हैं? या किस शैली के हैं?
PGT EXAM 2005
TGT EXAM 2001

4- शांतिनिकेतन में कला भवन की स्थापना किस वर्ष में हुई?
TGT EXAM 1999

5- शांतिनिकेतन की स्थापना किसने की?
PGT EXAM 2013

6- एक कवि /चित्रकार  जिनकी कर्मभूमि शांतिनिकेतन थी?

TGT EXAM 2009


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