प्रसिद्ध चित्रकार विंसेंट वान गॉग की पेंटिंग चोरी। पेंटिंग का नाम "स्प्रिंग गार्डेन" Vincent van Gogh : Biography - Paintings & Artworks, Life History

Courtesy- HINDUSTAN PAPER

लॉक डाउन का फायदा उठाकर 28 मार्च 2020 को नीदरलैंड के एक डच संग्रहालय से विंसेंट वांन गॉग की " स्प्रिंग गार्डेन" नामक पेंटिंग जो कि 136 साल पुरानी थी चोरो ने उड़ा ली।

कोरोना संक्रमण के चलते संग्रहालय बन्द था फिर भी चोरो ने इस पेंटिंग को चुरा लिया।

इस पेंटिंग को एम्स्टर्डम के नजदीक सिंगर लारेन संग्रहालय में रखा गया था। अधिकारियो ने बताया कि सुबह करीब 3 बजे संग्रहालय के कांच के दरवाजे को काटकर रास्ता बनाया और पेंटिंग चुरा ले गए।


1884 की इस पेंटिंग में नुयेन में एक पादरी के निवास स्थान स्प्रिंग गार्डेन को चित्रित किया गया था। जहाँ वान गॉग रहा करता था। संग्रहालय के अनुसार वान गॉग अपने माता पिता के साथ रहा करता था। उस समय उसके पिता को एक छोटे चर्च का पादरी बनाया गया था।

विंसेंट वान गॉग का जीवन और उसकी कला
image - google

30 मार्च 1853 को  हॉलैंड (नीदरलैंड)  में विंसेंट वान गॉग का जन्म हुआ था। वान गॉग अत्यंत भावुक और एकांत प्रिय रहने वाला कलाकार था। उसका चेहरा कुरूप था। वह अपने युवा काल को निराशापूर्ण व अर्थहीन मानता था। इसी कारण वान गॉग सदैव अवसादग्रस्त रहा।

वान गॉग ने अनेक तरह की नौकरियां की। उसने फ्रेंच शिक्षक के रूप में कार्य किया, शुल्क वसूली, और धर्मोपदेश के रूप में खान मजदूरों की सेवा की थी। महात्मा गांधी की तरह वान गॉग भी ईसा मसीह को सर्वश्रेष्ठ कलाकार मानता था।


विंसेंट वान गॉग और उसके छोटे भाई थियो वान गॉग के बीच बहुत प्यार और आपसी सहानुभूति थी। उसे अपने छोटे भाई थियो का बहुत सहयोग व प्रोत्साहन मिला।

विंसेंट वान गॉग की कला पर डच चित्रकारों का प्रभाव रहा। इसलिए उसकी कला साधना के प्रारंभिक दौर को डच काल (1880-1886) कहा जाता हैं।

इस दौर में उसने खान मजदूरों के कष्टमय जीवन , अनाथालयो एवं गरीब बस्तियों से संबंधित दृश्य चित्रित किये। उसने डच काल मे अधिकांश रेखाचित्र बनाये। डच कलाकारों की भांति भूरे व काले रंगों का प्रयोग किया। रेखांकन के लिए कोयले व क्रेयॉन का प्रयोग किया। डच काल मे इसके द्वारा तैयार किये गए 2 चित्र प्रसिद्ध हुए
1- आलू भक्षी (Potato Eaters)
2- दुख (Sorrow)

1886 के बाद वान गॉग पेरिस के प्रभाववादी चित्रकारों के सम्पर्क में आकर लाल, पिले व नीले रंगों का प्रयोग करते हुए चित्रण करने लगा। पेरिस काल में इसके द्वारा तैयार किया गया 2 महत्वपूर्ण चित्र -
1- पिला वस्तु चित् ( Yellow object picture)
2- पेर तांगवी का व्यक्ति चित्र ( Portrait of pare Tangwe)

वान गॉग ने फ्रांस के दक्षिणी भाग में स्थित अर्ल नामक गाँव के जलपान गृह के ऊपरी मंजिल में किराए का कमरा लेकर रहने लगा। और इसी कमरे में उसने कला कक्ष बनाया। जहाँ पर चित्रकार पाल गोग्वा से विचार विमर्श भी किया था। इसी कमरे में पड़ी दो कुर्सियों में से एक कुर्सी का चित्र बनाकर उसका शिर्षक " गोग्वा की कुर्सी" ( Van Gogh's chair) रखा था।

photo credit- wikipedia

वान गॉग ने अर्ल गांव के हरे भरे खेतों , बगीचों, पुष्पों आदि के अनेक दृश्य चित्र बनाये। लेकिन यहाँ पर बनाये गए चित्रो में" सूर्यमुखी के फूल" (Sunflowers) के चित्र  सर्वाधिक उत्कृष्ट माने गए। उसने अपने कमरे को सूर्यमुखी के फूलों के चित्रों से सुसज्जित किया था।

वान गॉग का जीवन अभावग्रस्त रहा। उसके चित्रों की बिक्री न होने के कारण उसे लगातार आर्थिक तंगी झेलनी पड़ी। उसने अपना मानसिक संतुलन भी खो दिया था। एक बार वह अपना कान काटकर वेश्या के घर के बाहर छोड़ आया था। इसके बाद वह अर्ल स्थित चिकित्सालय के कक्षों में कई दृश्य चित्र बनाएं जिसमे उसका प्रसिद्ध चित्र "तारों भरी रात (The Starry Night ) हैं। इसके अलावा " सरोवृक्षो का मार्ग" ( Road with Cypress and Star) चित्र हैं।

वान गॉग ने 20 वर्ष की कला साधना के अंतर्गत 700 से अधिक रंगीन चित्र और 1000 से अधिक रेखा चित्र बनाये। उसके जीवन काल में एक दृश्य चित्र, एक व्यक्ति चित्र, और 20 रेखा चित्र ही बिक सके। जिससे उसे केवल 500₹ की आय हुई।

37 वर्ष की आयु में दृश्य चित्र बनाते समय स्वयं पर पिस्तौल से गोली मारकर 29 जुलाई 1890 को उसने आत्महत्या कर ली।

मृत्यु के बीस साल के बाद उसका चित्र "सूर्यमुखी का फूल" (Sunflowers) लगभग 3 लाख में बिका। और वह प्रसिद्ध हो गया। जो ख्याति उसे जिंदा रहते नही मिली वह उसे मरने के बाद मिली।

आज, वान गाग की कृतियाँ दुनिया की सबसे महंगी पेंटिंग्स में से एक हैं। इसके नाम पर एक संग्रहालय खोला गया, जो  एम्स्टर्डम में है। यह संग्रहालय , उनके चित्रों का सबसे बड़ा संग्रह रखता है।

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