महिला दिवस स्पेशल- पढ़े भारत की 10 प्रसिद्ध महिला चित्रकारों के बारे में

💥अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस की हार्दिक शुभकामनायें।

आज हम अंतराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पे 10 ऐसे महिला चित्रकारों के बारे में बात करने वाले हैं जिन्होंने अपनी कला से एक अलग मुकाम हासिल किया और भारतीय चित्रकला/मूर्तिकला को नई ऊंचाइयों तक ले जाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
पढ़े 10 ऐसे ही महिला चित्रकारों के बारे में-

1- नलिनी मालानी:


नलिनी मालानी एक समकालीन भारतीय कलाकार हैं। इनका जन्म 1946 में कराची (पाकिस्तान) में हुआ।
अपने शुरुआती करियर में, उन्होंने मुख्य रूप से पेंटिंग और ड्राइंग के क्षेत्र में काम किया। बाद में वह फिल्म और एनीमेशन जैसे मीडिया के अन्य रूपों से जुड़ी। उनकी कलाकृतियां अक्सर राजनीतिक रूप से प्रेरित होती हैं और विस्थापन, संघर्ष, अंतरराष्ट्रीय राजनीति, लिंग भूमिकाओं की महत्वपूर्ण परीक्षा और वैश्वीकरण और उपभोक्तावाद के विषयों पर ध्यान केंद्रित करती हैं। अपने कलात्मक करियर के दौरान, उन्होंने इतिहास के उन हाशिए की कहानियों को आवाज देने का प्रयास किया है जो संघर्ष के मानवीय और सार्वभौमिक पहलुओं और शोषक और शोषितों के बीच के संबंधों पर ध्यान केंद्रित करती हैं।


2-भारती खेर:
भारती खेर एक भारतीय समकालीन कलाकार हैं। इनका जन्म 1969 में लंदन (इंग्लैंड) में हुआ था। भारती खेर ने कई तरह के मीडिया में पेंटिंग, मूर्तियां, इंस्टॉलेशन और टेक्स्ट बनाने का काम किया है। जिसमें अक्सर भारत में महिलाओं द्वारा पहने जाने वाले सजावटी माथे बिंदी शामिल होते हैं। 
इन्होंने भारतीय समकालीन कलाकार सुबोध गुप्ता से  विवाह किया।

3- अर्पिता सिंह:
अर्पिता सिंह एक भारतीय कलाकार हैं। उनका जन्म 1937 में कोलकाता (पश्चिम बंगाल) में हुआ था ।उन्हें एक आलंकारिक कलाकार और एक आधुनिकतावादी होने के लिए जाना जाता है

इन्होंने बुनकर सेवा केंद्र, कपड़ा मंत्रालय,(भारत सरकार) में भी काम किया 
अर्पिता सिंह 1960 के दशक में  कलाकारों के समूह 'द अननोन' की संस्थापक सदस्य भी थीं। 

उनकी पेंटिंग महिलाओं को दैनिक कार्य करने और उनके जीवन में सरल दिनचर्या का पालन करने के लिए दर्शाती हैं। अर्पिता दैनिक उपयोग की वस्तुएं जैसे पेड़, फूल, फूल की फूलदान, जानवर, चायदानी, तकिए, त्यौहार और झंडे खींचती और महिलाओं को घेर कर दिखाती। चाइल्ड ब्राइड विद स्वान (1985) और गर्ल स्मोकिंग सिगरेट (1985) उसके नायक के उदाहरण हैं, जो जीवन को आगे बढ़ाते हैं।

90 के दशक में, अर्पिता की पेंटिंग की शैली कैनवास पर तेल में स्थानांतरित हो गई, लेकिन उन्होंने महिला केंद्रित कला को चित्रित करना जारी रखा। बहुत सारी महिलाओं की भावनाएं उनके चित्रों में स्पष्ट होने लगीं - खुशी, दुःख, आशा, और बहुत कुछ। उन्होंने 20 वीं शताब्दी के अंतिम दशक में "वूमेन विद ए गर्ल चाइल्ड" विषय पर कई चित्रों की पेंटिंग बनाई।

उन्होंने साथी कलाकार परमजीत सिंह से शादी की ।
चित्र- ए ट्री, ए मैन, दी नेकेड, ए वुमन एंड मैन स्टैंडिंग

4-अंजलि इला मेनन:
अंजलि इला मेनन भारत की प्रसिद्ध समकालीन कलाकार हैं।
इनका जन्म सन 1940 में बंगाल में हुआ था।
उनके द्वारा बनाये गए चित्र दुनिभर के महत्वपूर्ण संग्रहालयों में रखे हुए हैं। सन 2006 में कैलिफ़ोर्निया के ‘एशियन आर्ट म्यूजियम ऑफ़ सन फ्रांसिस्को’ ने उनकी एक महत्वपूर्ण रचना ‘यात्रा’ का अधिग्रहण किया। उनकी पेंटिंग का पसंदीदा माध्यम तैल है। इनकी चित्रो की नारी आकृतियां उनके स्वप्नों के प्रतीकों में बदल जाती हैं।

भारत सरकार ने सन 2000 में उन्हें पद्म श्री से सम्मानित भी किया।
कलाकृतियां: Looking Out of a Window, Acolyte, Magical Twist, The Magician Story,

5-मीरा मुखर्जी: (1923-1998) 

मीरा मुखर्जी का जन्म कोलकाता (पश्चिम बंगाल) में हुआ था। यह  भारतीय मूर्तिकार और लेखिका थीं ,इन्हें प्राचीन बंगाली मूर्तिकला में आधुनिकता लाने के लिए जाना जाता था
इन्होंने अपने मूर्तिशिल्पों का निर्माण आदिवासियों की ढलाई की प्राचीन पद्धति अर्थात लास्ट वेक्स प्रोसेस से किया। इस पद्धति में पश्चिम बंगाल के ढोकरा, बस्तर (म.प्र.) के गेरूआ तथा बिहार के मल्हार आदिवासी मूर्तियां बनाने का कार्य करते हैं। इस पद्धति में धरातल के टेक्सचर पर बहुत बल दिया जाता हैं अतः इन्होंने इस तकनीक को एक नई दिशा दी।
कला में  योगदान के लिए  भारत सरकार की ओर से उन्हें पद्मश्री सम्मान मिला।


6-नीलिमा शेख:
नीलिमा शेख का जन्म 1945 में नई दिल्ली में हुआ था। उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से इतिहास का अध्ययन किया और ललित कला संकाय, बड़ौदा से मास्टर ऑफ फाइन आर्ट की।
उनका कार्य विस्थापन, लालसा, ऐतिहासिक वंश, परंपरा, सांप्रदायिक हिंसा , और स्त्रीत्व के विचारों पर केंद्रित है

वर्ष 1984 में, उन्होंने 12 छोटी, टेम्परा पेंटिंग की एक श्रृंखला चित्रित की, जिसका शीर्षक था "ह्वेन चम्पा ग्रूव अप" ( 'When Champa Grows Up') जिसने एक विवाहित युवा लड़की की सच्ची कहानी सुनाई, जिसे ससुराल वालों ने यातना दी और जला दिया। पहले कुछ पैनल एक खुशहाल युवा लड़की को दिखाते हैं, जो झूले पर खेलती है और साइकिल की सवारी करती है। फिर उसके विवाह समारोह को दिखाया जाता है, साथ ही पक्षियों का झुंड जो उसे अपने माता-पिता के घर छोड़ने का प्रतीक है। आगे उसे रसोई में काम करते हुए नग्न और रोते हुए दिखाया गया है, शायद पीटने के बाद। और अंतिम पटल में उसके अंतिम संस्कार के चित्रण, और शोक में डूबी महिलाएं हैं।

पारंपरिक मुहावरों के माध्यम से उन्होंने समकालीन जीवन की गंभीर वास्तविकता और हिंसा को चित्रित किया।


7-नसरीन मोहम्मदी
(1937-1990) 
1937 में कराची में जन्मी नसरीन मोहम्मदी एक भारतीय कलाकार थीं, जो अपने रेखा-आधारित चित्रों के लिए जानी जाती थीं, और आज उन्हें भारत के आधुनिक कलाकारों में से एक माना जाता है। 
ज्यामितिय आकारों वाले उनके चित्र भारतीय कला का एक महत्वपूर्ण आयाम बने।
मोहम्मदी ने मुख्य रूप से कागज पर पेंसिल और स्याही के इशारों के साथ काम किया।


8-लतिका कट: 
1948 में उत्तर प्रदेश में जन्मी लतिका कट एक भारतीय मूर्तिकार है जो पत्थर की नक्काशी , धातु की ढलाई और कांस्य शिल्पकला में माहिर है ।

9-मृणालिनी मुखर्जी: 
(1949-15 फरवरी 2015) 
 मृणालिनी मुखर्जी बम्बई में जन्मी एक भारतीय मूर्तिकार थीं उन्हें विशिष्ट समकालीन शैली और रंगे और बुने हुए सन फाइबर के उपयोग के लिए जाना जाता है , जो मूर्तिकला के लिए एक अपरंपरागत सामग्री है।
अपने मूर्तिशिल्पों में इन्होंने जूट की रस्सी, सुतली, डोरी का उपयोग किया है।
इनकी कृति "वनश्री" मूर्तिशिल्प  में इन्होंने धातु के छल्लो तथा तार के ढांचे का कुछ इस तरह प्रयोग किया है कि ये मूर्तिशिल्प स्वतंत्र रूप से खड़े हो सकते हैं।

10-अमृता शेरगिल:
अमृता शेरगिल का जन्म 30 जनवरी 1913 को बुडापेस्ट, हंगरी में हुआ था।
अमृता शेरगिल कहा करती थी- 
"मुझे प्रसन्नता हैं कि कला की शिक्षा मुझे विदेश में मिली, क्योंकि इसी से मैं अजंता ,मुगल, और राजपूत कलमों के मूल्य को समझ पाई। जबकि अधिकांश भारतीय चित्रकार उन्हें समझने का सिर्फ ढोंग करते हैं।"


यूँ तो अमृता शेरगिल का जीवनकाल मात्र 28 वर्ष का रहा।लेकिन केवल 7 वर्षो (1935-1941तक) के दौरान इन्होंने जिन कलाकृतियों का निर्माण किया, वे आज संसार भर में कला जगत की अनमोल धरोहर बन गयी।

अमृता कलाकार थीं तो संवेदनशील उन्हें होना ही था लेकिन हर जज्बे में उतनी ही प्रवीणता विरले ही देखने को मिलती है. जितनी खूबसूरत उतनी दृढ, जितनी भावुक उतनी ही व्यवहारिक, जितनी प्रेमल उतनी ही उदासीन, ऐसा संयोजन दुबारा नहीं बना. फिर भी इन सबके साथ एक चीज और मिल जाती है जो उन्हें सबसे अलग बनाती है, उनकी जिद. इस जिद ने ही अमृता से जुड़े रहस्यों को और गहरा कर दिया था. रहस्य चाहे उनके जीवन के हों, असमय हुई मृत्यु के या कैनवास पर उतारे रंगों के. अमृता ने रंगों से भरे अपने छोटे से जीवन में कला जगत वो दे दिया जिसके आधार पूरब और पश्चिम की कला सालों-साल परखी जा सकती है. इसलिए जो अमृता शेरगिल अपने समय में बे-मोल थीं, अब बेशकीमती हैं.
5 दिसम्बर 1941 को इनकी मृत्यु हो गयी।

इनके द्वारा बनाये गए चित्र-
मदर इंडिया, हिल मैन, हिल वूमेन, तीन बहने, केले बेचते हुए, हाट जाते हुए, पोट्रेट ऑफ माय फादर, गणेश पूजन, द स्टोरी ऑफ टेलर, आदि।

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