भारत के मशहूर आर्किटेक्ट बालकृष्ण दोषी को पद्म भूषण पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा.
मुंबई के जेजे स्कूल ऑफ आर्किटेक्चर से पढ़ाई करने वाले दोशी ने वरिष्ठ आर्किटेक्ट ले कॉर्ब्यूसर के साथ पेरिस में साल 1950 में काम किया था। उसके बाद वह भारत के प्रोजेक्ट्स का संचालन करने के लिए वापस देश लौट आए। उन्होंने साल 1955 में अपने स्टूडियो वास्तु-शिल्प की स्थापना की और लुईस काह्न और अनंत राजे के साथ मिलकर अहमदाबाद के इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट के कैंपस को डिजायन किया। इसके बाद उन्होंने आईआईएम बंगलूरू और लखनऊ, द नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फैशन टेक्नोलॉजी, टैगोर मेमोरियल हॉल, अहमदाबाद का द इंस्टिट्यूट ऑफ इंडोलॉजी के अलावा भारत भर में कई कैंपस सहित इमारतों को डिजायन किया है।
बता दे की बालकृष्ण दोशी को नोबल पुरस्कार के बराबर माने जाने वाले प्रतिष्ठित 'प्रित्जकर' पुरस्कार (2018में) से भी सम्मानित किया जा चुका हैं यह पुरस्कार आर्किटेक्चर क्षेत्र में बेहतरीन कार्य करने वालों को दिया जाता है. 'प्रित्जकर' पुरस्कार को वास्तुकला की दुनिया का नोबेल पुरस्कार कहा जाता है.
www.tgtpgtkala.com
मुंबई के जेजे स्कूल ऑफ आर्किटेक्चर से पढ़ाई करने वाले दोशी ने वरिष्ठ आर्किटेक्ट ले कॉर्ब्यूसर के साथ पेरिस में साल 1950 में काम किया था। उसके बाद वह भारत के प्रोजेक्ट्स का संचालन करने के लिए वापस देश लौट आए। उन्होंने साल 1955 में अपने स्टूडियो वास्तु-शिल्प की स्थापना की और लुईस काह्न और अनंत राजे के साथ मिलकर अहमदाबाद के इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट के कैंपस को डिजायन किया। इसके बाद उन्होंने आईआईएम बंगलूरू और लखनऊ, द नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फैशन टेक्नोलॉजी, टैगोर मेमोरियल हॉल, अहमदाबाद का द इंस्टिट्यूट ऑफ इंडोलॉजी के अलावा भारत भर में कई कैंपस सहित इमारतों को डिजायन किया है।
बता दे की बालकृष्ण दोशी को नोबल पुरस्कार के बराबर माने जाने वाले प्रतिष्ठित 'प्रित्जकर' पुरस्कार (2018में) से भी सम्मानित किया जा चुका हैं यह पुरस्कार आर्किटेक्चर क्षेत्र में बेहतरीन कार्य करने वालों को दिया जाता है. 'प्रित्जकर' पुरस्कार को वास्तुकला की दुनिया का नोबेल पुरस्कार कहा जाता है.
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