मन्दिर स्थापत्यकला - निर्माण व विशेषता


💥गुप्त काल की सर्वप्रमुख विशेषता हैं?
1-मूर्तिकला
2-मन्दिरों का निर्माण✅
3-चित्रकला
4-काष्ठकला
T.G.T. परीक्षा, 1999 
T.G.T. परीक्षा, 2000
T.G.T. परीक्षा, 2009

भारत में मंदिर स्थापत्य की निम्न तीन शैलियों का विकास अलग-अलग भूभाग में हुआ।

1नागर शैली -

हिमालय से विंध्य पर्वतमाला के बीच उत्तर भारत में जिस शैली के तहत मंदिरों का निर्माण किया गया उसे नागर शैली कहां जाता है। 

निर्माण - सर्वप्रथम गुप्त शासकों द्वारा कराया गया।

विशेषता-  शिखर का निर्माण, (शिखर शैली)

2 द्रविड़ शैली- 
इस शैली का विकास कृष्णा व तुंगभद्रा के दक्षिणी भूभाग में हुआ। विशेष रूप से वर्तमान केरल व तमिलनाडु क्षेत्र के शासकों ने द्रविड़ शैली को संरक्षण दिया।

निर्माण - पल्लव शासनकाल में (चरमोत्कर्ष चोल वंश)

विशेषता-  मंजिलें नुमा विमान, (विमान शैली)

नई विशेषता - कल्याण मंडपम का निर्माण

3 बेसर शैली- मंदिर स्थापत्य की इस शैली का विकास विंध्य पर्वत एवं कृष्णा नदी के बीच के दक्षिण भारतीय भूभाग में हुआ।

निर्माण- चालुक्य शासकों द्वारा

मुख्य विशेषता- अर्ध गोलाकार आधार होना शीर्ष भाग नागर या द्रविड़ शैली के अनुरूप बनाया जाना।


संभावित प्रश्न
1-नागर शैली की प्रमुख विशेषताएं क्या हैं?
-शिखर का निर्माण (शिखर शैली)
2-नागर शैली का निर्माण सर्वप्रथम किस शासकों के द्वारा कराया गया?
-गुप्त शासकों द्वारा
3-द्रविड़ शैली की विशेषताएं क्या है?
-मंजिले नुमा विमान (विमान शैली)
4-मंजिलें नुमा विमान किस शैली की विशेषता है?
-द्रविड़ शैली
5-द्रविड़ शैली का विकास किसके शासनकाल में हुआ?
-पल्लव शासनकाल में
6-चालुक्य शासकों द्वारा किस शैली का निर्माण किया गया?
बेसर शैली 
7-बेसर शैली का निर्माण किस शासकों के द्वारा किया गया?
-चालुक्य शासकों द्वारा



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