राजा रवि वर्मा - भारतीय कला के पितामह
जन्म- 29 अप्रैल 1848 किलिमन्नूर (केरल)
मृत्यु- 2 अक्टूबर 1906 आर्टिट्रंगल , त्रिवेंद्रम के निकट
19वी शदी में चित्रकला में एक महत्वपूर्ण प्रभाव राजा रवि वर्मा का था।
●भारत मे पहला लिथोग्राफिक प्रेस खोलने वाले पहले कलाकार थे।
●प्रेस की स्थापना में दो जर्मन विशेषज्ञ स्लेचर तथा जिरचड का सहयोग लिया।
●तंजौर के चित्रकार अलागिरी नायडू से कला की शिक्षा ली। और थियोडोर जॉनशन से तैल चित्रण सीखा।
●तैल माध्यम में चित्रण करने वाले प्रथम भारतीय चित्रकार हैं।
●तैल रंगों के माध्यम से इन्होंने ड्यूक ऑफ बर्किघम व उदयपुर के महाराणाओं के चित्र बनाएं।
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राजा रवि वर्मा की पेंटिंग |
◆स्मरणीय तथ्य
●राजा रवि वर्मा को त्रावणकोर के राजा ने "वीर श्रृंगाल" की उपाधि दी थी।
●1880 में "गायकवाड़ स्वर्ण पदक" दिया गया।
●ब्रिटिश सरकार ने 1904 में "कैसरे -ए-हिन्द" की उपाधि दी। और इसी समय से ये रवि वर्मा से राजा रवि वर्मा हो गए।
●नायर महिला बालों को चमेली के हार से गूंथती हुई- गवर्नर का स्वर्ण पदक।
●सरबत बजाती हुईं एक तमिल युवती। - स्वर्ण पदक
●राजा रवि वर्मा के चित्रो का विषय भारतीय तथा चित्रण शैली पाश्चात्य थी।
●इनके चित्रो की आलोचना भी हुई। ई वी हैवेल , आनन्द क. स्वामी, परशी ब्राउन ने इनके चित्रो की निंदा की और समझ से परे बताया।
●राजा रवि वर्मा के चित्र जगमोहन लाल मद्रास संग्रहालय , राष्ट्रीय आधुनिक कला संग्रहालय, उदयपुर के राजमहल, मैसूर के सालारजंग संग्रहालय, व केरल के निजी भवनों व हवेलियों में संग्रहित हैं।
●इनके चित्रो का सबसे बड़ा संग्रह चित्रालय गैलरी (त्रिवेंद्रम) में हैं।
◆ प्रमुख चित्र-
राम द्वारा समुद्र का मानभंग
हरिश्चन्द्र (NVS exam 2019)
श्रीकृष्ण व बलराम
दूत के रूप में कृष्ण
इंद्रजीत की विजय
मेनका
रावण व जटायु
मत्स्य गन्धा
उषा द्वारा अनिरुद्ध का चित्र बनाना।
सीताहरण
भिक्षुणी
उदयपुर का किला
सरस्वती
चांदनी रात में पनघट से लौटते हुए।
वामन अवतार
द्रौपदी
गंगा-शांतनु
महिला व दर्पण
शकुंतला का दुष्यंत के नाम पत्र लेखन।
बाला
Note-
राजा रविवर्मा ने उपरोक्त विषय शीर्षक के अतिरिक्त नारी चित्रो में विशेषकर "केरल की नारियों का चित्रण किया, जिन्हें देखकर "टिशियन" व "रूबेन्श" का स्मरण होता हैं।
"गंगावतरण" ,"विराटा का दरबार", "माँ और बच्चा" आदि अनेक चित्रो में जनरुचि को प्रश्रय दिया हैं।
नोट -6 - 7 अप्रैल 2022 को भारतीय चित्रकला के पितामह कहे जाने वाले राजा रवि वर्मा की पेंटिंग 'द्रौपदी वस्त्रहरण ' जो 1888-1890, के दौरान बनी करीब 21.6₹ करोड़ ($2.8 मिलियन) में बिकी थी।पूरी खबर 👇
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