रजा फाउंडेशन की तरफ से लगी प्रिंट मेकिंग आर्टिस्टों की प्रदर्शनी: प्रिंट मेकर अनुपम सूद ने किया उद्घाटन

 

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एक जमाना था जबकि देश में तीन चार  प्रिंट मेकर आर्टिस्ट होते थे लेकिन आज इनकी संख्या करीब 1000 हो गई है और इनमें करीब 100 सवा सौ महिला प्रिंट मेकर आर्टिस्ट हैं। 

2 अक्टूबर 2023 को रजा फाउंडेशन ने दिल्ली के त्रिवेणी कला संगम की श्रीधरणी गैलरी में 60 युवा प्रिंट मेकर आर्टिस्टों की एक प्रदर्शनी "युवा सम्भव "लगाई जिनमें करीब 30 महिला युवा प्रिंट मेकर के चित्र शामिल थे। 

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इस दृष्टि से देखा जाए तो कला की दुनिया में स्त्री सशक्तिकरण का यह एक नया प्रदर्शन था क्योंकि इस क्षेत्र में पहले बहुत कम महिला प्रिंट मेकर हुआ करती थी। इसका एक कारण तो यह भी था कि यह विधा बहुत ही श्रम साध्य है और इसका बाजार अभी बड़ा नहीं है इसलिए यह मुनाफे का काम कम है। 60 कलाकारों के प्रिंट की इतनी बड़ी प्रदर्शनी हाल के दिनों में कला की बड़ी घटना है।

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रजा फाउंडेशन की इस प्रदर्शनी का उद्घाटन देश की सबसे बड़ी प्रिंट मेकर आर्टिस्ट अनुपम सूद ने किया जो अब करीब 80 वर्ष की हो चली हैं। 

स्लेड स्कूल ऑफ फाइन आर्ट्स यूनिवर्सिटी कालेज लंदन से 1971--72 में प्रिंट मेकिंग में डिग्री प्राप्त करने वाली अनुपम जी ने मुख्य अतिथि के रूप में इस प्रदर्शनी का उद्घाटन किया।

इस अवसर पर रजा फाउंडेशन के प्रबंध न्यासी प्रसिद्ध संस्कृतिकर्मी तथा प्रर्दशनी के संयोजक अशोक वाजपेयी ने कहा कि रजा फाउंडेशन पिछले कुछ सालों से कला की दुनिया में युवा प्रतिभाओं को आगे बढ़ाने के लिए कटिबद्ध है और इस दिशा में उसने पहले 100 युवा कलाकारों की एक प्रदर्शनी का आयोजन किया था, उसके बाद 20 आदिवासी कलाकारों की भी प्रदर्शनी आयोजित की थी,उसके बाद तीस युवा आदिवासी चित्रकारों की प्रदर्शनी की थी।

उन्होंने बताया कि जे स्वामीनाथन ने भारत भवन में प्रिंट कलाकारों की एक बड़ी प्रदर्शनी लगाई थी। अब रजा फाउंडेशन प्रिंट ,स्कल्पचर ,सेरामिक्स और अन्य मीडिया में युवा कलाकरों की प्रदर्शनियां आयोजित कर रहा है। 

उन्होंने कहा कि" प्रिंट की दुनिया में जरीना हाशमी जैसी मशहूर कलाकार हो चुकी हैं जिनका पिछले दिनों निधन हो गया ।

अब हमारे बीच लक्षमागौड़ और अनुपम सूद जैसी वरिष्ठ और दिग्गज प्रिंट मेकर आर्टिस्ट हैं। 

अनुपम सूद ने एक प्रश्न के उत्तर में कहा कि

" हमारे जमाने में स्त्री और पुरुष कलाकार का कोई भेद नहीं था और हम लोग यह सोचकर पेंटिंग नहीं करते थे कि फलां पुरुष है और फलां महिला आर्टिस्ट है लेकिन यह सच है कि हमारे जमाने में प्रिंट में आर्टिस्ट बहुत कम होती थी। मुझसे वरिष्ठ केवल एक प्रिंट मेकर आर्टिस्ट थी जो मेरी तरह सोमनाथ होर की शिष्या थी दूसरी जरीना हाशमी थी जिनका अब निधन हो चुका है ।गोगी सरोज पाल तो मुझसे छोटी थी लेकिन आज के जमाने में बहुत सारी युवा महिला प्रिंट मेकिंग के क्षेत्र में सामने आई है। इस प्रदर्शनी में भी मैंने कई महिला प्रिंट आर्टिस्टों के काम को देखा। उनके काम ने मुझे प्रभावित किया तथा देश में प्रिंट मेकिंग आर्ट के भविष्य को लेकर में आशान्वित हूँ ।उनमें गज़ब का आत्मविश्वास और नवाचार है।"

साभार

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