11 दिसंबर 1922 को राजस्थान के शेखावटी क्षेत्र में इनका जन्म हुआ था। इन्होंने प्रारम्भिक शिक्षा प्रसिद्ध चित्रकार भूरसिंह शेखावत से ली।
इन्होंने 1 साल तक " लखनऊ स्कूल ऑफ आर्ट्स " में भी अध्ययन किया ।
बाद में ये शांतिनिकेतन आ गए और आर्टस में डिप्लोमा किया।
इन्होंने तिब्बत, नेपाल और जापान की यात्रा की। जापान में ये 3 साल तक रहे।
भित्तिचित्रण में पारंगत
इन्होंने भित्तिचित्रण भी किया। शांतिनिकेतन के हिंदी भवन में " रामायण" पे आधारित चित्र, नई दिल्ली के बिड़ला हाउस में " गांधी जी के जीवन के चित्र" जयपुर रेलवे स्टेशन पर "गणगौर मेले का चित्रण " किया।
इनकी कला में मुख्यतः मुगल कला, राजपूत कला, बंगाल स्कूल, राजस्थानी, ईरानी और जापानी शैली का प्रभाव हैं।
ब्लू पॉटरी के जनक
जयपुर की "ब्लू पॉटरी" (हस्तशिल्प) को पुर्नजीवित करने का श्रेय इन्हें ही दिया जाता है। लगभग लुप्त होती इस कला को इन्होंने नया जीवनदान दिया। इन्होंने "ब्लू पॉटरी" के क्षेत्र में अनेकों कार्य किये। इन्होंने एक नई शैली विकसित की , जिसे ‘कृपाल शैली’ कहा ।
राजस्थान की धरती का चितेरा
ब्लू पॉटरी कला का नाम (मिट्टी के बर्तन) नीले रंग से रँगने के कारण पड़ा। 1950 के आस पास जयपुर की यह कला लुप्त होने के कगार पर थी, तब कृपाल सिंह शेखावत ने इसे पुन: जीवंत किया। राष्ट्र के एकमात्र ब्लू पॉटरी चित्रकार होने का गौरव इन्ही को प्राप्त हैं।
कृपाल सिंह को "राजस्थान की धरती का चितेरा" भी कहा जाता हैं।
भारत सरकार की तरफ से 1974 में "पद्मश्री", 1980 में "कलाविद"और 2002 इन्हें " शिल्प गुरु " का सम्मान मिला।
15 फरवरी 2008 को इनकी मृत्यु हो गयी।
प्रमुख चित्र-
●मैरिज ऑफ पाबूजी राठौर
●डेफोडिल्स
●प्रतीक्षारत कृष्ण
●मीरा का जन्म
-इन्होंने वाश चित्रण, टेम्परा चित्रण, और स्याही का प्रयोग इन चित्रों में किया है।
नोट-
भारत की आजादी के बाद भारतीय संविधान की जो मूल प्रति कलागुरू नन्दलाल बोस के सौजन्य से तैयार की गई उसमें कृपाल सिंह शेखावत का भी कलात्मक योगदान था।
एक टिप्पणी भेजें