देवकीनंदन शर्मा : पक्षी चित्रकार
आज हम बात करने वाले हैं पक्षी चित्रकार देवकीनंदन शर्मा के बारे में जो राजस्थान के अलवर जिले में सन 17 अप्रैल 1919 को पैदा हुए थे।
राजस्थान के महाराजा स्कूल ऑफ आर्ट से उन्होंने चित्रकार शैलेंद्र नाथ डे (कला प्राध्यापक के तौर पे कार्यरत थे) के सानिध्य में कला की शिक्षा ली।
बाद में देवकीनंदन शर्मा को शांतिनिकेतन जाने का अवसर मिला और वहां पर बिनोद बिहारी मुखर्जी, नंदलाल बोस जैसे कलाकारों से उन्होंने टेम्परा, वॉश पद्धति सीखा।
सन 1953 में वह वनस्थली विद्यापीठ आये और यहाँ वह भित्ति चित्रण प्रशिक्षण आयोजन करते थे। जिसमे कई देशी विदेशी कलाकारों ने कला की बारीकियां सीखी।
वनस्थली विद्यापीठ देवकीनंदन शर्मा की कर्मभूमि रही। और इस विभाग की स्थापना का श्रेय भी इन्ही को दिया जाता हैं, और यही से वह प्रोफेसर व अध्यक्ष पद से सेवानिवृत्त भी हुए थे।
देवकीनंदन शर्मा की कला:
देवकीनंदन शर्मा ने अनेक विषयों का चित्रण किया । लेकिन सबसे ज्यादा उन्होंने पक्षियों के चित्र बनायें, जिसमे मोर, कबूतर, कोयल , बुलबुल शामिल हैं।
इन्होंने लगभग 1000 से अधिक पक्षियों के चित्र बनाये। जिसमे उन्होंने पेन व स्याही का प्रयोग किया। साथ ही जलरंग , तैल रंग से भी इन्होंने चित्रण किया।
देवकीनंदन शर्मा को "ब्रिटिश इन्फॉर्मेशन सर्विस" ने विश्व के 18 श्रेष्ठ पक्षी चितेरो में गिना। और 1963 में लंदन के ट्रायन कला विधि ने पक्षी चित्र प्रदर्शनी के लिए इनके चित्रों को चुना । जिसमें इनके साथ और 18 देशो के पक्षी चित्रकार भी शामिल थे।
भारत मे इन्होंने मुंबई की नैचुरल हिस्ट्री सोसायटी में अपने पक्षी चित्रों की प्रदर्शनी लगाई।
सम्मान-
राजस्थान ललित कला अकादमी ने 1981 में "कलाविद" सम्मान से नवाजा। इसके अलावा विश्विद्यालय अनुदान आयोग ने
" प्रोफेसर अमेरिट्स" (Professor Emeritus)
की उपाधि से सम्मानित किया।
24 अप्रैल 2005 को इस पक्षी चितेरा की मृत्यु हो गयी।
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