रामकिंकर बैज आधुनिक भारतीय मूर्तिकला के जनक Ramkinkar Baij Biography - Paintings & Artworks, Life History




भारत में आधुनिक चित्रकला को प्रारंभ करने का श्रेय यदि अवनीन्द्रनाथ टैगोर को जाता है, तो मूर्तिकला में आधुनिकता का श्रीगणेश करने का श्रेय रामकिंकर बैज को  है । रामकिंकर बैज को आधुनिक भारतीय मूर्तिकला का जनक कहा जाता है
रामकिंकर बैज का जन्म 26 मई 1906 को बंगाल के बाकुड़ा जिले में हुआ था .इन्होने शांतिनिकेतन  में नन्दलाल बासु के सानिध्य में कला की शिक्षा ली ।

कला की शिक्षा पूरी का लेने के बाद रामकिंकर बैज को शांतिनिकेतन में ही मूर्तिशिल्प विभाग के अध्यक्ष नियुक्त कर लिए गये । इन्होने लगभग 57 वर्षो तक शांतिनिकेतन में कार्य किया । और वहा वह ''किंकर दा'' के नाम से मशहूर हो गए ।

रामकिंकर बैज मुख्यतः मूर्तिकार थे, लेकिन चित्रकार के रूप में भी जाने गए ।इनकी रचनात्मक प्रतिभा का चरमोत्कर्ष काल 1935 से 1940 के बीच माना जाता हैं । इस अवधि में उन्होंने कई प्रमुख चित्र तथा मूर्तिशिल्प तैयार किये । 

रामकिंकर बैज ने चित्रकला का प्रारम्भ लघु चित्रों से किया. लेकिन बाद में उन्होंने तैल रंगों को अपना लिया। इन्होने तैल माध्यम में व्यक्ति चित्र तथा विशाल अमूर्त चित्र तैयार किये गए ।इनके प्रमुख चित्रों में -
सुजाता , कन्या और कुत्ता , अनाज की ओसाई , माँ -बेटा, कृष्ण जन्म , शीतकालीन मैदान , आदि हैं ।




इन चित्रों में "माँ -बेटा" , और "कृष्ण जन्म" यूरोपीय घनवाद से प्रभावित चित्र प्रतीत होते हैं , जबकि अन्य चित्र ज्यामितीय आकारों में तैयार किये गए ।इस प्रकार इनके चित्रों में यूरोपीय घनवाद का प्रभाव दिखाई देता है ।

रामकिंकर बैज ने जो मूर्तिशिल्प का निर्माण किया वे सर्वाधिक प्रसिद्ध हुए । इन्होने मिट्टी , बालू , प्रस्तर , प्लास्टर ऑफ़ पेरिस , सीमेंट व कंक्रीट का प्रयोग करते हुए मूर्तिशिल्प तैयार किये ।

कुछ प्रमुख मूर्तिशिल्प :

1- 1938 में सीमेंट व कंक्रीट का प्रयोग करते हुए तैयार की गयी 427 से. मी. ऊची मूर्ति- 
'' संथाल परिवार ''. वर्तमान में यह कला भवन , शांतिनिकेतन में सुरक्षित हैं ।

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2- 24 फिट ऊची  '' यक्ष - यक्षिणी '' की  पाषाण मूर्ति ।
वर्तमान में यह रिजर्व बैंक ऑफ़ इंडिया नई दिल्ली  में स्थापित हैं ।

इनके द्वारा तैयार प्लास्टर ऑफ़ पेरिस की मूर्तियों में सबसे प्रसिद्ध ''पार्श्व'' चित्र मूर्तिशिल्प हैं । और इनके द्वारा तैयार एक और प्रसिद्ध मूर्ति '' दोपहर की विश्रांति में श्रमिको '' हैं ,जो मेहनतकश मजदूरों व किसानो के जीवन को दर्शाती हैं।

इंनके अन्य मुर्तिशिल्पो में ''रवीन्द्रनाथ टैगोर का पोट्रेट'' प्रुमख है।

सम्मान :

1970 में इन्हें  पद्म भूषण मिला ।

2 अगस्त 1980 को इनका देहांत हो गया।
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